गिरिधर नागर स्वाध्याय

गिरिधर नागर स्वाध्याय

गिरिधर नागर स्वाध्याय इयत्ता दहावी हिंदी

सूचाननुसार कृतियाँ कीजिए :-

१) संजाल पूर्ण कीजिए :

उत्तर :

२) प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए :

उत्तर :

३) इस अर्थ में आए शब्द लिखिए :

अर्थशब्द
१)दासी———
२)साजन———
३)बार-बार ———
४)आकाश———

उत्तर :

अर्थशब्द
१)दासीसेविका
२)साजनपति
३)बार-बार हमेशा
४)आकाशनभ

४)

उत्तर :

५) दूसरे पद का सरल अर्थ लिखिए :

उत्तर :

प्रस्तुत पंक्तियों में मीराबाई कहती है कि कृष्ण तुम्हारे बगैर मेरा शरीर मृत प्राय: है। आत्मा तो आपके प्रेम भक्ति में लीन है। हे प्रभु शरीर की क्या आवश्यकता है। तुम्ही मेरे राजा हो मुझे एक दासी के रूप में अपने चरणों में स्थान दीजिए। जीवन मरण के दु:ख से दूर, मेरी जीवन नैय्या के तुम नाविक हो, मुझे तुम ही पार लगाओगे।

सिर्फ तुम ही हो इस संसार में, हे कृष्ण, तुम्हारी जय है। या दुनिया बेकार इस संसार रूपी सागर के बीच में मैं फंस गई हूँ। हे कृष्ण इस स्वार्थी सागर रूपी संसार डूबने की कगार पर है। आप ही इसे सुरक्षित किनारे लगा सकते हो। आपके प्रेम विरह में दिवानी दासी आपकी राह देख रही है। मुझे अपने पास बुला लो। यह दासी कृष्ण की रट लगा रही है, पुकार रही है हे प्रभु, मुझे अपने चरणों में स्थान दे कर, मेरे जीवन को सफल करो।

उपयोजित लेखन

निम्नलिखित शब्दों के आधार पर कहानी लेखन कीजिए तथा उचित शीर्षक दीजिए :

अलमारी, गिलहरी, चावल के पापड़, छोटा बच्चा

उत्तर :

अपनापन/ जीवन के प्रति लगाव

एक गाँव में छोटा बच्चा राजू अपनी माँ और भाई के साथ रहता था। आँगन में एक बरगद का पेड़ था। पेड़ पर एक गिलहरी अपने तीन बच्चो के साथ रहती थी।

माँ जब भी आँगन में चावल के पापड़ बनाती अपने साथ अखरोट के बीज रखती। गिलहरी माँ के पास आकर बैठती माँ उसे अखरोट के बीज देती। वह बड़े स्वाद से अखरोट के बीज अपने बच्चें को खिलाती। इस प्रकार माँ और गिलहरी में दोस्ती हो गयी।

एक दिन छोटा बच्चा राजू घर के अहाते में खेल रहा था। अचानक खिड़की से घर में साँप ने प्रवेश किया। गिलहरी की नजर साँप पर पड़ गयी। उसने राजू पर मँडराते खतरे को भाँप लिया। वह अहाते में प्रवेश कर गयी और अलमारी पर चढ़ गयी। माँ रसोईघर में थी। गिलहरी ने देखा राजू अपने खेल में मग्न था और साँप उसकी ओर बढ़ रहा था। गिलहरी असंमजस में पड़ गयी वह क्या करे या न करे। अचानक उसका ध्यान अलमारी पर पड़े पीतल के लोटे पर पड़ा। तुरंत उसने धक्का देकर लोटे को धरती पर गिरा दिया।

लोटे के धरती पर गिरने की आवाज सुनकर माँ किचन से दौड़ते हुए आई। उसने अहाते में साँप को देखकर अलमारी पर चढ़ी गिलहरी को देखा। पूरा माँजरा उसकी समझ में आ गया। उसने तुरंत राजू को उठा लिया और शोर मचाकर पड़ोस के लोगो को ध्यान साँप की ओर आकर्षित किया। इस तरह गिलहरी ने राजू की जान बचाकर मित्रत्व का उपहार दिया।

सीख : मित्रता एक अनमोल उपहार है।

अपठित पद्यांश

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-

काम जरा लेकर देखो, सख्त बात से नहीं स्नेह से

अपने अंतर का नेह अरे, तुम उसे जरा देखर देखो।

कितने भी गहरे रहें गर्त, हर जगह प्यार जा सकता है,

कितना भी भ्रष्ट जमाना हो, हर समय प्यार भा सकता है।

जो गिरे हुए को उठा सके, उससे प्यारा कुछ जतन नहीं,

दे प्यार उठा पाए न जिसे, इतना गहरा कुछ पतन नहीं॥

१) उत्तर लिखिए :

१. किसी से काम करवाने के लिए उपयुक्त –

उत्तर :

स्नेह

२. हर समय अच्छी लगने वाली बात –

उत्तर :

प्यार

२) उत्तर लिखिए :

१. अच्छा प्रयत्न यही है –

उत्तर :

जो गिरे को उठा दे

२. यही अधोगित है –

उत्तर :

जो प्यार उठा न पाए

३) पद्यांश की तीसरी और चौथी पंक्ति का संदेश लिखिए।

उत्तर :

प्रेम हर जगह कितनी भी गहराई के गड़ढे तक जा सकता है। एवं कितने भी बुरे आचरणवाला युग (काल) क्यों न हो प्यार हर समय मन को अच्छा लगता है।

भाषा बिंदु

कोष्ठक में दिए गए प्रत्येक/कारक चिह्न से अलग-अलग वाक्य बनाइए और उनके कारक लिखिए :

[ ने, को, से, का, की, के, में, पर, हे, अरे, के लिए ]

उत्तर :

i) श्याम ने मुरली बजायी। – कर्ता कारक

ii) सीता ने गीता को पीटा। – कर्म कारक

iii) रवि ने हाथ से रोटी खाई। – करण कारक

iv) सोहन का घर बड़ा है। – सम्बन्ध कारक

v) यह राम की कुटियाँ है। – सम्बन्ध कारक

vi) वह राम के लिए उपयोगी है। – सम्बन्ध कारक

vii) अग्निबाण रावण की नाभि में जा लगा। – अधिकारक कारक

viii) चिड़िया छत पर बैठी है। – अधिकारक कारक

ix) अरे ! इधर सुनो। – सम्बोधक कारक

x) श्री राम ने धर्म की रक्षा के लिए रावण को मारा। – सम्प्रदान कारक

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