मेरे पिता जी स्वाध्याय
मेरे पिता जी स्वाध्याय इयत्ता नववी हिंदी

२) निम्नलिखित अपठित गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-
१) कारण लिखिए :-
क) विमान के प्रति लेखन का आकर्षित होना –
उत्तर :
लेखक जब एम.आई.टी. में विमान को निकट से देखता है, तो उसे वे विमान बार-बार अपनी ओर खींचते हैं। वे लेखक को मनुष्य की सोचने की शक्ति की जानकारी देते हैं और उसके सपनों को पंख लगाते हैं। इसलिए लेखक विमान के प्रति आकर्षित हुआ।
ख) लेखन का एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग को अपना अध्ययन क्षेत्र चुनना –
उत्तर :
लेखक उड़ान भरने के प्रति आकर्षित था। उसके मन में वर्षों से उड़ने की अभिलाषा पल रही थी और उसका सबसे प्यारा सपना था कि वह सुदूर आकाश में उड़ती मशीन को स्वयं हैंडल करे। इसलिए उसने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग को अपना अध्ययन क्षेत्र चुना।
पहली बार मैंने एम. आई. टी. में निकट से विमान देखा था, जहाँ विद्यार्थियों को विभिन्न सब-सिस्टम दिखाने के लिए दो विमान रखे थे। उनके प्रति मेरे मन में विशेष आकर्षण था। वे मुझे बार-बार अपनी ओर खींचते थे। मुझे वे सीमाओं से परे मनुष्य की सोचने की शक्ति की जानकारी देते थे तथा मेरे सपनों को पंख लगाते थे। मैंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग को अपना अध्ययन क्षेत्र चुना क्योंकि उड़ान भरने के प्रति मैं आकर्षित था। वर्षों से उड़ने की अभिलाषा मेरे मन में पलती रही। मेरा सबसे प्यारा सपना यही था कि सुदूर आकाश में ऊँची और ऊँची उड़ान भरती मशीन को हैंडल किया जाए।
२) स्वमत –
उत्तर :
मुझे लगता है कि लेखक का विमान के प्रति आकर्षण बिल्कुल स्वाभाविक था, क्योंकि उड़ते हुए विमान को देखकर किसी के भी मन में जिज्ञासा और प्रेरणा उत्पन्न होती है। विमान मानव की अद्भुत कल्पनाशक्ति और तकनीकी प्रगति का प्रतीक हैं। जैसे लेखक ने विमान देखकर अपने सपनों को उड़ान दी, वैसे ही हमें भी अपने रुचि क्षेत्र में कुछ नया सीखने और ऊँचाइयों तक पहुँचने का प्रयास करना चाहिए।
३) ‘मेरी अभिलाषा’ विषय पर लगभग छह से आठ पंक्तियों में लिखिए।
उत्तर :
मेरी अभिलाषा यह है कि मैं अपने जीवन को सार्थक बनाऊँ और समाज के लिए कुछ अच्छा कर सकूँ। हर व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई सपना या उद्देश्य होता है, उसी तरह मेरी भी इच्छा है कि मैं एक जिम्मेदार और ईमानदार नागरिक बनूँ। मैं चाहता हूँ कि अपने अध्ययन में उत्कृष्ट प्रदर्शन करूँ और आगे चलकर ऐसा काम करूँ जिससे देश का नाम रोशन हो।
मुझे समाजसेवा में गहरी रुचि है। मैं चाहता हूँ कि गरीब, अनाथ और असहाय लोगों की मदद करूँ, उनके जीवन में खुशियाँ लाऊँ। मेरी अभिलाषा है कि मैं अपने परिवार और शिक्षकों का मान-सम्मान बढ़ाऊँ, उनके द्वारा सिखाए गए संस्कारों का पालन करूँ।
मैं यह भी चाहता हूँ कि हमारे देश से अशिक्षा, गरीबी और भ्रष्टाचार जैसी बुराइयाँ समाप्त हों, और मैं इसमें अपना योगदान दे सकूँ। मैं जीवन में आगे बढ़ते हुए कभी अहंकार न करूँ, सदा विनम्र और परिश्रमी रहूँ। मेरी यही सबसे बड़ी अभिलाषा है — कि मैं अपने कर्मों से समाज और देश के विकास में भागीदार बनूँ।
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
१) संजाल :-

उत्तर :

२) ‘अपना व्यक्तित्व समृद्ध करने के लिए अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान उपयुक्त होता है,’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में भाषा का बड़ा महत्त्व होता है। भाषा वह माध्यम है, जिसके द्वारा मनुष्य की अपने समाज में पहचान बनती है। अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान होने से हम अलग-अलग मानव समाजों की संस्कृति के बारे में जान सकते हैं। न केवल अपने देश के बारे में, बल्कि पूरे विश्व में कब, कहाँ, क्या-क्या हुआ, इसकी जानकारी भी हम रख सकते हैं। उन देशों के साहित्य के माध्यम से उनके इतिहास, धर्म, संस्कृति आदि के बारे में जान सकते हैं। विभिन्न क्षेत्रों का समुचित ज्ञान व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास बढ़ाता है।
पाठ के आँगन में
१) सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-
क) निम्नलिखित शब्दों को पढ़कर उनके लिए पाठ में प्रयुक्त विशेषताएँ लिखिए :
| १. जूता | ……………….. |
| २. पाजामा | ……………….. |
| ३. अचकन | ……………….. |
| ४. टोपी | ……………….. |
उत्तर :
| १. जूता | काला |
| २. पाजामा | ढीला |
| ३. अचकन | खूब फबने वाली |
| ४. टोपी | दुपल्ली |
ख) ‘संयुक्त परिवार’ संबंधी अपने विचार लगभग छह से आठ पंक्तियों में लिखिए।
उत्तर :
भारतीय संस्कृती में प्राचीन काल से संयुक्त परिवार की परंपरा रही है। संयुक्त परिवार में माता-पिता, भाई-बहन के अतिरिक्त ताऊ-चाचा, उनके विवाहित पुत्र भी सम्मिलित होते हैं। इन परिवारों में व्यक्ति से अधिक महत्व परिवार को दिया जाता है। आज के बदलते सामाजिक परिवेश में संयुक्त परिवार की परंपरा टूट रही है। संयुक्त परिवार में जहाँ बच्चों का लालन-पालन और मानसिक विकास अच्छी तरह होता है, वहीं वृद्ध लोगों का जीवन भी बच्चों के साथ शांतिपूर्वक व्यतीत होता है। आज जब अधिकतर महिलाएँ कामकाजी होती हैं, तब संयुक्त परिवार का महत्त्व और बढ़ जाता है। माँ की अनुपस्थिति में बच्चे शिशगृह में रहने के स्थान पर दादा-दादीआदि के साथ ममतापूर्ण वातावरण में रहकर अच्छे संस्कार सीख सकते है।