शिष्टाचार स्वाध्याय

शिष्टाचार स्वाध्याय

शिष्टाचार स्वाध्याय इयत्ता नववी हिंदी

संभाषणीय

‘आपके व्यवहार में शिष्टाचार झलकता है’ इस विषय पर चर्चा कीजिए :-

कृति के आवश्यक सोपान :

विद्यार्थियों से शिष्टाचार संबंधी प्रश्न पूछें

विद्यार्थी अपने मित्रों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं बताने के लिए कहें

विद्यालय के शिक्षकों से कैसा व्यवहार करते हैं, कहलवाएँ।

शिष्टाचार से होने वाले लाभ बताने लिए कहें और उनके शिष्टाचार पर चर्चा कराएँ।

उत्तर :

शिक्षक: बच्चों, बताइए — क्या आप सबके व्यवहार में शिष्टाचार झलकता है?

विद्यार्थी 1: जी हाँ सर, हम अपने मित्रों से हमेशा प्यार से बात करते हैं और उनकी मदद करते हैं।

विद्यार्थी 2: हम विद्यालय में शिक्षकों से आदरपूर्वक बात करते हैं और उनके निर्देशों का पालन करते हैं।

शिक्षक: बहुत अच्छा! क्या आप बता सकते हैं कि शिष्टाचार से हमें क्या लाभ होते हैं?

विद्यार्थी 3: सर, शिष्टाचार से हमारे संबंध अच्छे बनते हैं और लोग हमें पसंद करते हैं।

विद्यार्थी 4: इससे विद्यालय का वातावरण भी अच्छा रहता है और अनुशासन बना रहता है।

शिक्षक: बिल्कुल सही कहा। शिष्टाचार हमारे अच्छे संस्कारों का परिचायक है। यह हमें दूसरों के प्रति सम्मान और विनम्रता सिखाता है। इसलिए हर विद्यार्थी को अपने व्यवहार में शिष्टाचार लाना चाहिए।

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

१) गद्यांश में ‘हेतू’ की बताई गई विशेषताएँ :

उत्तर :

२) ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्दों हों :

१. बरखास्त

उत्तर :

श्रीमती दिन में दस-दस बार हेतू को नौकरी से क्या करती ?

२. हेतू

उत्तर :

किसी पीठ मजबूत थी ?

३) कारण लिखिए।

१. रामगोपाल जी की नौकरों की खोज शिथिल हुई

उत्तर :

हेतू घर का काम सँभालने लगा इसलिए रामगोपाल जी की नौकरों की खोज शिथिल हुई।

२. हेतु की तनख्वाह से कटौती होती ………

उत्तर :

यदि हेतू से किसी चीज का नुकसान होता तो हेतू की तनख्वाह से कटौती होती।

४) ‘नौकर और मालिक के बीच सौहार्दपूर्ण व्यवहार होना चाहिए’ – स्वमत लिखिए।

उत्तर :

आज के भौतिकवादी युग में जहाँ पति-पत्नी दोनों कामकाजी हों, तो बहुत से घरों में नौकरों के बिना काम नहीं चलाता। इसी प्रकार दुकानों में, होटलों में छोटी उम्र के हजारों, लाखों नौकर काम कर रहे हैं। परंतु अनेक अवसरों पर उनके साथ बहुत ही बुरा व्यवहार किया जाता है। उनकी पिटाई तक कर दी जाती है। हम स्वयं को इनका स्वामी मान लेते हैं। यदि विवशतावश नौकर अपनी सेवाएँ हमें देते हैं, तो इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि हम उनके जीवन पर अपना अधिकार मानने लगें। जो लोग सरदी, गरमी के बिकट मौसम की परवाह किए बिना हमारे दैनिक कार्यों में हमारी मदद करते हैं, उनके साथ सौहार्दपूर्ण, मानवीय व्यवहार करना हमारा कर्तव्य हो जाता है।

पठनीय

‘व्यक्तित्व विकास’ संबंधी कोई लेख पढिए।

उत्तर :

मैंने “व्यक्तित्व विकास” पर एक लेख पढ़ा, जिसमें बताया गया कि किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व केवल उसके बाहरी रूप या कपड़ों से नहीं, बल्कि उसके विचार, आचरण, बोलचाल और व्यवहार से बनता है।
व्यक्तित्व विकास का अर्थ है – अपने भीतर की अच्छी आदतों, सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास को बढ़ाना।

लेख में बताया गया कि एक व्यक्ति तभी सफल बन सकता है जब वह आत्मविश्वासी, ईमानदार और मेहनती हो।
व्यक्तित्व को निखारने के लिए हमें प्रतिदिन कुछ अच्छा सीखने का प्रयास करना चाहिए। हमें अपने समय का सदुपयोग, दूसरों के प्रति सम्मान, शालीन भाषा का प्रयोग, और सहयोग की भावना रखना चाहिए।

इसके अलावा, लेख में यह भी बताया गया कि जीवन में सफलता पाने के लिए संवाद कौशल, शिष्टाचार, स्वयं पर नियंत्रण और सकारात्मक दृष्टिकोण बहुत आवश्यक हैं।
अच्छा व्यक्तित्व न केवल हमें आत्मविश्वास देता है, बल्कि समाज में हमारा सम्मान और पहचान भी बढ़ाता है।

श्रवणीय

अपने गाँव/शहर में आए हुए किसी अपरिचित व्यक्ति की मदद के बारे में किसी बुजुर्ग से सुनिए और अपने विचार सुनाइए।

उत्तर :

मैंने अपने गाँव के एक बुजुर्ग व्यक्ति, दादाजी से सुना कि कुछ वर्ष पहले हमारे गाँव में एक अपरिचित यात्री आया था। वह शहर से गाँव की ओर आते समय रास्ता भटक गया था और बहुत थका हुआ था। गाँव में पहुँचकर उसने लोगों से पानी और ठहरने की जगह मांगी। तब दादाजी ने उसे अपने घर में बुलाया, उसे खाना खिलाया और रात में रुकने की व्यवस्था की। अगले दिन उन्होंने उस यात्री को उसके गंतव्य स्थान तक पहुँचने में मदद की।

इस घटना से मुझे यह सिखने को मिला कि जरूरतमंद की सहायता करना मानवता का सबसे बड़ा गुण है। हमें किसी अपरिचित व्यक्ति के साथ भी प्रेम और सहानुभूति से व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि कभी हम भी किसी अनजान जगह पर दूसरों की मदद के मोहताज हो सकते हैं।

आसपास

बैंक/डाकघर में जाकर वहाँ के कर्मचारी एवं ग्राहकों के बीच होने वाले व्यवहारों का निरीक्षण कीजिए तथा उन व्यवहारों के संबंध में अपनी उचित सहमति या असहमति प्रकट कीजिए।

उत्तर :

मैंने अपने शहर के डाकघर (पोस्ट ऑफिस) में जाकर वहाँ के कर्मचारी और ग्राहकों के बीच होने वाले व्यवहारों का निरीक्षण किया। मैंने देखा कि कुछ कर्मचारी बहुत विनम्र और सहयोगी थे — वे ग्राहकों की शंकाएँ शांतिपूर्वक सुनते थे और उन्हें सही जानकारी देते थे। वहीं, कुछ स्थानों पर भीड़ और अव्यवस्था के कारण ग्राहकों को लंबा इंतजार करना पड़ता था, जिससे कुछ लोग असंतुष्ट दिखाई दिए।

मुझे यह भी लगा कि अगर सभी कर्मचारी धैर्य और सौजन्य से काम करें और ग्राहक भी अनुशासन बनाए रखें, तो बैंक या डाकघर में काम और भी सहजता से हो सकता है।

मेरी सहमति:

  • कर्मचारियों का शालीन व्यवहार ग्राहकों को संतुष्टि देता है।
  • काम में ईमानदारी और समयपालन बहुत आवश्यक है।

मेरी असहमति:

  • कभी-कभी लापरवाही या असभ्य व्यवहार ग्राहकों को असुविधा पहुँचाता है, जो उचित नहीं है।

पाठ के आँगन में

१) सूचना के अनुसार कृति पूर्ण कीजिए :

क) संजाल –

उत्तर :

ख) विधानों के सामने दी हुई चौखट में सत्य/असत्य लिखिए :-

१. अगले दिन श्रीमती ने अपना ट्रंक खोलकर अपनी चीजों की पड़ताल शुरू की।

उत्तर :

सत्य

२. सहसा हेतू की आँखों में आँसू आ गए।

उत्तर :

सत्य

ग) श्रीमती के नौकरों के बारे में विचार –

उत्तर :

मौलिक सृजन

निम्नलिखित मुद्दों के उचित क्रम लगाकर उनके आधार पर कहानी लेखन कीजिए :

[ मुद्दों का उचित क्रम लगाना आवश्यक है।]

उत्तर :

कहानी : दृढ़ निश्चय वाला लड़का

१. एक लड़का
२. शहर के महाविद्यालय में पढ़ना
३. छुट्टियों में गाँव आना
४. प्रतिवर्ष सूखे की समस्या का सामना
५. मन में निश्चय
६. कुओं खोदने का प्रारंभ
७. लोगों का जुड़ना
८. एक मित्र का साथ देना
९. कुओं तैयार होना
१०. कुओं पानी से भरना
११. लोगों का हँसना
१२. लोगों का खुश होना
१३. सीख : श्रमिक

कहानी : दृढ़ निश्चय का फल

एक गाँव में रवि नाम का एक लड़का रहता था। वह शहर के महाविद्यालय में पढ़ता था। जब भी छुट्टियाँ आतीं, वह अपने गाँव लौट आता था।
गाँव में हर साल सूखे की समस्या से लोग परेशान रहते थे। खेत सूख जाते और पशु-पक्षी प्यासे मरने लगते।

रवि ने यह सब देखा और उसके मन में एक दृढ़ निश्चय हुआ कि अब वह गाँव में पानी की समस्या खत्म करेगा। उसने अपने मित्र के साथ मिलकर कुएँ खोदने का काम शुरू किया। धीरे-धीरे गाँव के लोग भी उससे जुड़ते गए

कड़ी मेहनत के बाद कुएँ तैयार हुए और कुछ दिनों में वे पानी से भर गए। यह देखकर लोगों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई और गाँव में खुशी का माहौल बन गया।

इससे सबको यह सीख मिली कि श्रम और एकता से असंभव भी संभव हो जाता है।

पाठ से आगे

‘मानवता ही श्रेष्ठ धर्म है’ विचार को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :

“मानवता ही श्रेष्ठ धर्म है” – यह वाक्य हमें सिखाता है कि इंसान का असली धर्म दूसरों के प्रति दया, प्रेम और सहानुभूति रखना है। दुनिया में अनेक धर्म हैं — हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि — लेकिन इन सबका मूल संदेश एक ही है, मानव कल्याण।

यदि कोई व्यक्ति पूजा-पाठ तो करता है, पर किसी गरीब या पीड़ित की मदद नहीं करता, तो उसका धर्म अधूरा है। वहीं, जो व्यक्ति निस्वार्थ भाव से दूसरों की सहायता करता है, दूसरों के दुख को अपना समझकर दूर करने का प्रयास करता है, वही सच्चा धार्मिक व्यक्ति कहलाता है।

मानवता हमें यह भी सिखाती है कि –

  • हम सब एक ही मानव जाति के सदस्य हैं।
  • हमें जात-पात, ऊँच-नीच और धर्म के भेदभाव को मिटाना चाहिए।
  • हर व्यक्ति के प्रति समान सम्मान और प्रेम रखना ही सबसे बड़ी भक्ति है।

भाषा बिंदु

दिए गए अव्यय भेदों के वाक्य पाठ्यपुस्तक से ढूँढकर लिखिए :-

उत्तर :

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