स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है स्वाध्याय
स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है स्वाध्याय इयत्ता आठवी हिंदी

मौलिक सृजन
टिळक जी द्वारा संपादित/प्रकाशित ‘केसरी’ समाचार पत्र की जानकारी संक्षेप में लिखो।
उत्तर :
‘केसरी’ समाचार पत्र का संपादन और प्रकाशन लोकमान्य बाल गंगाधर टिळक जी ने किया था। इसकी स्थापना सन १८८१ में पुणे से हुई थी। यह पत्र मराठी भाषा में प्रकाशित होता था और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध जनजागृति फैलाने का कार्य करता था।
‘केसरी’ के माध्यम से टिळक जी ने लोगों में स्वतंत्रता की भावना और राष्ट्रभक्ति का संचार किया। इस पत्र में अंग्रेज़ी शासन की नीतियों की कड़ी आलोचना की जाती थी, जिससे जनता में स्वराज्य की चेतना जागृत हुई। ‘केसरी’ समाचार पत्र भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक सशक्त माध्यम बना और आज भी इसे भारत के इतिहास में एक प्रेरणादायी पत्र माना जाता है।
श्रवणीय
राष्ट्रीय त्योहारों पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं द्वारा दिए गए वक्तव्य सुनो और मुख्य मुद्दे सुनाओ।
उत्तर :
राष्ट्रीय त्योहारों पर आयोजित कार्यक्रमों में वक्ताओं द्वारा दिए गए वक्तव्यों में देशभक्ति, एकता, त्याग और राष्ट्रनिर्माण से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार प्रस्तुत किए जाते हैं। वक्ता बताते हैं कि स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने बलिदान और संघर्ष से हमें आज़ादी दिलाई है, इसलिए हमें उनके आदर्शों का पालन करना चाहिए।
वे यह भी कहते हैं कि आज के युवाओं को देश की प्रगति में सक्रिय योगदान देना चाहिए। राष्ट्र की एकता, अखंडता और भाईचारे को बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। वक्ताओं द्वारा यह संदेश दिया जाता है कि हमें ईमानदारी, परिश्रम और देशप्रेम से कार्य करना चाहिए ताकि भारत विश्व में एक सशक्त और गौरवशाली राष्ट्र बन सके।
मुख्य मुद्दे:
- स्वतंत्रता सेनानियों का त्याग और बलिदान।
- देश की एकता और अखंडता बनाए रखना।
- राष्ट्रप्रेम और सामाजिक सद्भाव का महत्व।
- युवाओं की जिम्मेदारी और भूमिका।
- देश के विकास के लिए परिश्रम और ईमानदारी का संदेश।
संभाषणीय
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रसिद्ध घोषवाक्यों की सूची बनाकर उनपर गुट में चर्चा करो।
उत्तर :
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रसिद्ध घोषवाक्यों की सूची :
- “साइमन, गो बैक!” – लाला लाजपत राय
- “करो या मरो।” – महात्मा गांधी
- “इंकलाब जिंदाबाद!” – भगत सिंह
- “जय हिन्द!” – सुभाषचंद्र बोस
- “वंदे मातरम्!” – बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय
- “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।” – रामप्रसाद बिस्मिल
- “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूँगा।” – बाल गंगाधर तिलक
- “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा।” – सुभाषचंद्र बोस
लेखनीय
राष्ट्रप्रेम की भावना से ओत-प्रोत चार पंक्तियों की कविता लिखो।
उत्तर :
मिट्टी की खुशबू में बसता है मेरा भारत महान,
हर धर्म, हर भाषा यहाँ सबका है सम्मान।
तिरंगा लहराए ऊँचा, यही हमारी शान,
राष्ट्रप्रेम से भरे दिल हों – यही है पहचान।
पठनीय
सुभद्राकुमारी चौहान की ‘झाँसी की रानी’ कविता पढ़ो।
उत्तर :
झाँसी की रानी
– सुभद्राकुमारी चौहान
सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटि तानी थी,
बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
कानपुर के नाना के संग, खेली वह बचपन में,
गुड़िया की शादी में उसने, हिम्मत दिखाई मन में।
कौशल सीखी, धनुर्धर बनना, घोड़े पर चढ़ना भी,
तलवार चलाना सीखा, था साहस उसके तन में।
नारी होते हुए भी उसने, वीरों सी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
अंग्रेज़ों ने चाल चली थी, छल से हक छीना था,
डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स ने उसका, राज्य छीना था।
कहा, “हम अपनी झाँसी नहीं देंगे”, उसने ठानी थी,
स्वाभिमान की रक्षा में फिर, रणभूमि सजानी थी।
दुश्मन के छक्के छुड़ाए, रणभूमि में बानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
घोड़े पर बैठी वीरांगना, शत्रु दल पर टूटी थी,
बरछी, तलवार, कटार लिए वह रण में झूटी थी।
हर सैनिक के हृदय में उस दिन बिजली-सी चमकानी थी,
रानी के साहस ने सबको, आज़ादी की ठानी थी।
रक्त बहा, रण रुक न सका, वह लड़ती रही रवानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
आख़िरी समय जब आया, रानी रण में डट गई,
स्वदेश की खातिर मरते-मरते अमर हो गई।
वीरता का प्रतीक बनी, भारत की कहानी थी,
हर बालक के मन में बस गई, वह अमिट निशानी थी।
आज भी उसकी गाथा हर भारतवासी की जुबानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
सूचना के अनुसार कृतियाँ करो :-
१) विधानों को पढ़कर गलत विधानों को सही करके लिखो :
१. टिळक जी ने कहा है कि, वे यद्यपि शरीर से जवान है किंतु उत्साह में बूढ़े हैं।
उत्तर :
टिळक जी ने कहा है कि, वे यद्यपि शरीर से बूढ़े है किंतु उत्साह में जवान हैं।
२. प्रांतीय सम्मेलन अंग्रेजी की देन है।
उत्तर :
प्रांतीत सम्मेलन कांग्रेस की देन है।
२) टिप्पणी लिखो :
१. लोकमान्य टिळक
उत्तर :
लोकमान्य टिळक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता थे। वे काँग्रेस के अध्यक्ष थे। उन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए सभी भारतीयों को एकता में सूत्र में बाँधने के लिए भरसक कोशिश की थी। ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ यह उनका प्रमुख नारा था। उन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए कहा था। उन्होंने पूर्ण स्वराज्य की माँग की थी।
२. होमरूल
उत्तर :
भारत को आजाद कराने के लिए टिळक जी ने भारत में ‘ होमरूल लीग’ की स्थापना की थी। होमरूल लीग का एक ही उद्देश्य था, भारत को स्वतंत्र कराना। होमरूल के पीछे छिपी भावना अमर और अविननाशी थी। वह अहिस्ता-अहिस्ता अपना कार्य कर रही थी।
३) उत्तर लिखो :
१. लोकमान्य टिळक जी द्वारा दिया गया नारा :
उत्तर :
स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है।
४) कृति पूर्ण करो :

उत्तर :

भाषा बिंदु
पाँच-पाँच सहायक और प्रेरणार्थक क्रियाओं का अपने स्वतंत्र वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर :
१) सहायक क्रियाएँ (Helping Verbs) :
- मैं आज स्कूल जा रहा हूँ।
- वह कल तक अपना काम पूरा कर चुका है।
- हम सब मिलकर पेड़ लगाने जा रहे हैं।
- बच्चे खेल के मैदान में खेल रहे थे।
- तुमने समय पर गृहकार्य कर लिया है।
२) प्रेरणार्थक क्रियाएँ (Causative Verbs) :
- माँ ने मुझे बाज़ार से दूध लाने को कहा।
- शिक्षक ने विद्यार्थियों से कविता याद करने को कहा।
- पिता जी ने माली से बगीचे में पौधे लगवाए।
- गुरुजी ने विद्यार्थियों से कक्षा साफ़ करवाई।
- मैंने अपने छोटे भाई से चित्र बनवाया।
उपयोजित लेखन
अपने विद्यालय में आयोजित ‘स्वच्छता अभियान’ का वृत्तांत लिखो। वृत्तांत में स्थल काल, घटना का उल्लेख आवश्यक है।
उत्तर :
दिनांक २१ मार्च, २०२५, पुणे : इस दिन महात्मा गांधी विद्यालय पुणे में स्वच्छता अभियान का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर प्रमुख अतिथि के रूप में महात्मा गांधी भवन के संयोजन श्री. रामजी मल्होत्रा उपस्थित थे। विद्यालय की विद्यार्थी प्रमुख कुमारी अंजलि ने पुष्पगुच्छ देकर मुख्य अतिथि महोदय जी का स्वागत किया। स्कूल प्राचार्या श्रीमती लता जी ने स्वच्छता अभियान के अवसर पर सभी छात्राओं को बधाई दी। अतिथि महोदय जी ने भी अपने वक्तव्य में स्वच्छता अभियान का महत्त्व बताया। उन्होंने गांधीजी अपने जीवन में स्वच्छता को बहुत महत्त्व देते थे और सभी को स्वच्छ रहने के लिए प्रेरित करते थे, इस तथ्य से सभी को अवगत कराया। इसके उपरांत कक्षा सातवी से लेकर कक्षा दसवीं तक के सभी छात्रों ने विद्यालय के आस-पास का परिसर स्वच्छ करने हेतु अपने अपने हाथों में बुहारी, झाडू आदि वस्तुएँ लेकर अपने कार्य को आरंभ किया। स्वच्छता अभियान में सभी शिक्षकों ने भी हिस्सा लिया। सभी ने मिलकर विद्यालय के आस-पास पड़ा हुआ कूड़ा-कचरा ही साफ नहीं किया, बल्कि लोगों को स्वच्छता के महत्त्व के बारे में अवगत भी अवगत भी कराया। इस तरह दोपहर के १२ बजे स्वच्छता अभियान का समापन हुआ।
स्वयं अध्ययन
पाठ में प्रयुक्त उद्धरण, सुवचन, मुहावरे, कहावतें, आलंकारिक शब्द आदि सूची बनाकर अपने लेखन प्रयोग हेतु संकलन करो।
उत्तर :
उद्धरण : स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है।
सुवचन : आत्मा अमर है।
मुहावरा : आँखों से परदा हटाना।