समता की ओर स्वाध्याय
समता की ओर स्वाध्याय इयत्ता दहावी हिंदी

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
१) कृति पूर्ण कीजिए :

उत्तर :

२) जीवन शैली में अंतर स्पष्ट कीजिए :
| धनी | दीन-दरिद्र |
|---|---|
उत्तर :
| धनी | दीन-दरिद्र |
|---|---|
| १. शिशिर में धनियों की रात-दिन मौज है। | १. शिशिर में दीन-दरिद्र दुखी है। |
| २. धनी ताजी हलुवा-पूड़ी और दूध-मलाई खाते है। | २. दीन-दरिद्रों को सूखी रोटी और भाजी नहीं मिलती। |
| ३. धनी रंगीन व कीमती शाल-दुशाले ओढ़ते हैं। | ३. दीन-दरिद्र के काँपते हुए शरीर पर रोज पाला गिरता है। |
| ४. धनी सुविधा-संपन्न घरों में रहते हैं। | ४. दीन-दरिद्र टूटे-फूटे घरों में रहते हैं। |
३) तालिका पूर्ण कीजिए :
| ऋतुएँ | अंग्रेजी माह | हिंदी माह |
|---|---|---|
| १. वसंत | मार्च, अप्रैल | चैत्र, बैसाब |
| २. ग्रीष्म | ————— | ————— |
| ३. वर्षा | ————— | ————— |
| ४. शरद | ————— | ————— |
| ५. हेमंत | ————— | ————— |
| ६. शिशिर | ————— | ————— |
उत्तर :
| ऋतुएँ | अंग्रेजी माह | हिंदी माह |
|---|---|---|
| १. वसंत | मार्च, अप्रैल | चैत्र, बैसाब |
| २. ग्रीष्म | मई, जून | ज्येष्ठ, आषाढ़ |
| ३. वर्षा | जुलाई, अगस्त | श्रावण, भाद्रपद |
| ४. शरद | सितंबर, अक्तूबर | आश्विन, कार्तिक |
| ५. हेमंत | नवंबर, दिसंबर | मार्गशीर्ष, पौष |
| ६. शिशिर | जनवरी, फरवरी | माघ, फाल्गुन |
४) निम्न मुद्दों के आधार पर पद्य विश्लेषण कीजिए :
१. रचनाकार
२. रचना का प्रकार
३. पसंदीदा पंक्ति
४. पसंदीदा होने का कारण
५. रचना से प्राप्त संदेश
उत्तर :
१. रचनाकार : मुकुटधर पांडेय।
२. रचना का प्रकार : नई कविता।
३. पसंदीदा पंक्ति : पहले हमें उदर की चिंता थी न कदापि सताती, माता सम थी प्रकृति हमारी पालन करती जाती।
४. पसंदीदा होने का कारण : इन पंक्तियों में कवि ने प्रकृति को माता का स्थान दिया है। पहले सब लोग प्रकृति पर निर्भर रहते थे। प्रकृति से लोगो की सारी आवश्यकताएँ पूरी हो जाती थी।
५. रचना से प्राप्त संदेश : सभी मनुष्यों ने एक दूसरे के साथ प्रेम, सहयोग और भाईचारे से रहना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।
५) अंतिम दो पंक्तियों से मिलने वाला संदेश लिखिए।
उत्तर :
कवि कहते हैं कि हम सभी का आपस में भाई-भाई का नाता है। एक भाई का दूसरे भाई पर अधिकार होता है। इसलिए हमारे मन में एक-दूसरे का उपकार करने की भावना होनी चाहिए।
उपयोजित लेखन
‘विश्वबंधुता वर्तमान युग की माँग’ विषय पर अस्सी से सौ शब्दों में निबंध लिखिए।
उत्तर :
आज का युग विज्ञान, तकनीक और संचार का युग है। पूरी दुनिया एक परिवार की तरह जुड़ चुकी है। ऐसे समय में विश्वबंधुता की भावना अत्यंत आवश्यक है। भेद-भाव, हिंसा, युद्ध और द्वेष मानवता के विकास में बाधा बनते हैं। यदि सभी देश प्रेम, सहयोग और आपसी सम्मान की भावना से मिलकर कार्य करें, तो विश्व में शांति और प्रगति स्थापित हो सकती है। विश्वबंधुता हमें यह सिखाती है कि समस्त मानवजाति एक ही परिवार है और सबका धर्म मानवता है। इसलिए वर्तमान युग में विश्वबंधुता ही मानव जीवन का मूल मार्ग होना चाहिए।