बूढ़ी काकी स्वाध्याय
बूढ़ी काकी स्वाध्याय इयत्ता दहावी हिंदी

श्रवणीय
बड़ों से कोई ऐसी कहानी सुनिए जिसके आखिरी हिस्से में कठिन परिस्थितियों से जीतने का संदेश मिल रहा हो।
उत्तर :
मैंने अपने दादाजी से एक प्रेरणादायी कहानी सुनी। यह कहानी एक गरीब किसान के बेटे मोहन की है, जो पढ़ाई में बहुत तेज था। उसके गाँव में अच्छी स्कूल की व्यवस्था नहीं थी, और घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। फिर भी मोहन के मन में आगे बढ़ने का दृढ़ संकल्प था।
एक दिन गाँव में बाढ़ आ गई, जिससे किसानों की फसल नष्ट हो गई। मोहन के पिता की आमदनी बंद हो गई, और घर की स्थिति और भी कठिन हो गई। मोहन को लगा कि वह पढ़ाई छोड़ देगा, परंतु उसके अंदर हिम्मत थी। उसने छोटे-छोटे काम करके पैसे कमाने शुरू किए, जैसे अख़बार बाँटना, दुकान पर सहायता करना आदि।
रात में दीपक की रोशनी में बैठकर वह लगन से पढ़ाई करता था। धीरे-धीरे उसके प्रयास रंग लाए। दसवीं की परीक्षा में उसने उत्कृष्ट अंक प्राप्त किए और आगे की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति मिली। आज वह एक सफल इंजीनियर है।
इस कहानी से हमें यह संदेश मिलता है कि कठिनाइयाँ चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, दृढ़ संकल्प, परिश्रम और विश्वास से हर मुश्किल पर विजय पाई जा सकती है।
संभाषणीय
‘वृद्धाश्रम’ के बारे में जानकारी इकट्ठा करके चर्चा कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी 1 : क्या तुमने कभी वृद्धाश्रम के बारे में सुना है? ये वे स्थान होते हैं जहाँ वृद्ध लोग – जो अकेले रह गए हैं या जिनकी देखभाल घर पर नहीं हो पाती – रहते हैं।
विद्यार्थी 2 : हाँ, मैंने हाल ही में एक वृद्धाश्रम का दौरा किया था। वहाँ रहने वाले बुज़ुर्गों को भोजन, दवाई, रहने की जगह और सुरक्षा जैसी जरूरतें पूरी की जाती हैं।
विद्यार्थी 1 : सही कहा। कई बुज़ुर्गों के बच्चे नौकरी या परिवार की व्यस्तता के कारण उनकी सही देखभाल नहीं कर पाते, इसलिए वे वृद्धाश्रम का सहारा लेते हैं। कुछ बुज़ुर्ग ऐसे भी होते हैं जिनके कोई परिजन नहीं होते।
विद्यार्थी 2 : वहाँ के कर्मचारी बहुत सहयोगी होते हैं। वे बुज़ुर्गों की स्वास्थ्य जांच, योग, मनोरंजन, पूजा-पाठ और छोटी-मोटी गतिविधियाँ भी कराते हैं, जिससे वे अकेलापन महसूस न करें।
विद्यार्थी 1 : लेकिन फिर भी, वृद्धाश्रम की आवश्यकता मन को दुख देती है। बुज़ुर्ग हमारे अनुभव और संस्कृति के धरोहर होते हैं। उन्हें परिवार का प्यार और सम्मान मिलना चाहिए।
विद्यार्थी 2 : बिल्कुल! हमें अपने माता-पिता और दादा-दादी का ख्याल रखना चाहिए। समाज को भी ऐसे केंद्र विकसित करने चाहिए जहाँ बुज़ुर्गों को सम्मान और सुरक्षा मिले।
दोनों मिलकर : इस चर्चा से हमने समझा कि वृद्धाश्रम आवश्यकता के कारण बने हैं, लेकिन हमें घर में अपने बुज़ुर्गों को प्यार, सम्मान और सहारा देने का प्रयास अवश्य करना चाहिए।
लेखनीय
‘भारतीय कुटुंब व्यवस्था’ पर भाषण के मुद्दे लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तावना
- भारत में कुटुंब व्यवस्था का विशेष महत्व
- संयुक्त एवं एकल परिवार – दोनों का उल्लेख
भारतीय कुटुंब व्यवस्था की विशेषताएँ
- साथ मिलकर रहने की परंपरा
- आपसी प्रेम, सम्मान और सहयोग
- बड़े-बुज़ुर्गों का मार्गदर्शन
- संस्कारों और परंपराओं का पालन
संयुक्त परिवार के लाभ
- जिम्मेदारियों का बँटवारा
- आर्थिक सुरक्षा
- बच्चों का सर्वांगीण विकास
- बुज़ुर्गों की देखभाल आसानी से
परिवार में नैतिक मूल्य
- सहनशीलता, त्याग, धैर्य, अनुशासन
- ‘हम’ की भावना – एकता का महत्व
आधुनिक युग की चुनौतियाँ
- नौकरी हेतु स्थानांतरण
- व्यस्त जीवनशैली
- एकल परिवारों की बढ़ती प्रवृत्ति
कुटुंब व्यवस्था का समाज पर प्रभाव
- सामाजिक एकता व स्थिरता
- संस्कारयुक्त पीढ़ी
- सामाजिक कर्तव्य निभाने की भावना
विद्यालय व युवा पीढ़ी के लिए संदेश
- परिवार का सम्मान करना
- बुज़ुर्गों की देखभाल
- परस्पर समझ और सहयोग बढ़ाना
समारोप
- भारतीय कुटुंब व्यवस्था हमारी सांस्कृतिक पहचान
- इसे सहेजना, निभाना और आगे बढ़ाना हमारा दायित्व
पठनीय
‘चलती-फिरती पाठशाला’ उपक्रम के बारे में जानकारी इकट्ठा करके पढिए और सुनाइए।
उत्तर :
‘चलती-फिरती पाठशाला’ एक ऐसा अभिनव शैक्षणिक उपक्रम है, जिसका मुख्य उद्देश्य उन बच्चों तक शिक्षा पहुँचाना है जो विभिन्न कारणों से नियमित विद्यालय नहीं जा पाते। यह पाठशाला किसी एक स्थान पर न रहकर गाँवों, बस्तियों, मजदूर क्षेत्रों और दूरस्थ इलाकों में जाती है, इसलिए इसे “चलती-फिरती” कहा जाता है।
इस उपक्रम के अंतर्गत एक वाहन, मोबाइल वैन या कभी-कभी साइकिल/रिक्शा का उपयोग किया जाता है, जिसमें किताबें, शैक्षणिक सामग्री, चार्ट, ब्लैकबोर्ड तथा खेल-आधारित शिक्षण साधन रखे जाते हैं। शिक्षकों व स्वयंसेवकों की टीम बच्चों को वहीं पर पढ़ाती है जहाँ वे उपलब्ध होते हैं। कई बार यह पाठशाला शाम या सुबह के समय चलती है ताकि मजदूरी करने वाले बच्चों को भी शिक्षण का अवसर मिले।
‘चलती-फिरती पाठशाला’ का मुख्य उद्देश्य –
- अशिक्षित और वंचित बच्चों को शिक्षा से जोड़ना
- शिक्षा का अधिकार हर बच्चे तक पहुँचाना
- पढ़ाई को रोचक और आसानी से उपलब्ध बनाना
- समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना
इस उपक्रम ने अनेक क्षेत्रों में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। इससे कई बच्चे पुनः औपचारिक विद्यालयों में दाखिल हुए और पढ़ाई जारी रख सके। यह उपक्रम वास्तव में शिक्षा को हर घर तक ले जाने का एक प्रभावी प्रयास है।
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-
१)

उत्तर :

२) कृति पूर्ण कीजिए :

उत्तर :

३) बुद्धिराम का काकी के प्रति दुर्व्यवहार दर्शाने वाली चार बातें :
१) —————-
२) —————-
३) —————-
४) —————-
उत्तर :
१) काकी की सारी संपत्ति लिखाते समय बुद्धिराम ने लंबे-चौड़े वादे किए थे, किंतु बाद में काकी को पेट भर भोजन भी कठिनाई से मिलता था।
२) भोजन कर रहे मेहमानों के बीच रेंगती हुई काकी को देखकर बुद्धिराम ने झपटकर उनका टेटुआ पकड़ लिया था।
३) बुद्धिराम ने काकी को अँधेरी कोठरी में धम से पटक दिया।
४) बुद्धिराम ने काकी को उनकी निर्लज्जता के लिए दंड देने का निश्चय किया था।
४) कारण लिखिए :
१) बूढ़ी काकी ने भतीजे के नाम सारी संपत्ति लिख दी ———–
उत्तर :
बूढ़ी काकी ने भतीजे के नाम सारी संपत्ति लिख दी क्योंकि बूढ़ी काकी के पतिदेव और बेटों की मृत्यु हो चुकी थी। एक भतीजे के सिवाय परिवार में और कोई न था।
२) लाड़ली ने पुड़ियाँ छिपाकर रखीं ———–
उत्तर :
लाड़ली ने पुड़ियाँ छिपाकर रखीं, क्योंकि लाड़ली को काकी से अत्यंत प्रेम था। लाड़ली पुड़ियाँ काकी को देना चाहती थी।
३) बुद्धिराम ने काकी को अँधेरी कोठरी में धस से पटक दिया ————
उत्तर :
बूढ़ी काकी रेंगती हुई भोजन कर रहे मेहमान मंडली के बीच में जा पहुँची थी। काकी को देखकर कई मेहमान चौककर उठ खड़े हुए थे। बुद्धिराम को इससे क्रोध आया और उसने काकी को अँधेरी कोठरी में धम से पटक दिया।
४) अंग्रेजी पढे नवयुवक उदासीन थे ———–
उत्तर :
अंग्रेजी पढे नवयुवक उदासीन थे, क्योंकि वे गँवार मंडली में बोलना अथवा सम्मिलित होना अपनी प्रतिष्ठा के प्रतिकूल समझते थे।
५) सूचना के अनुसार शब्द में परिवर्तन कीजिए :

उत्तर :

अभिव्यक्ति
‘बुजुर्ग आदर-सम्मान के पात्र होते है, दया के नहीं’ इस सुवचन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
बुजुर्ग हमारे परिवार और समाज की सबसे मूल्यवान धरोहर होते हैं। उन्होंने अपने अनुभव, ज्ञान और संघर्षों के बल पर जीवन में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की होती हैं। इसलिए वे दया या सहानुभूति के नहीं, बल्कि आदर और सम्मान के पात्र होते हैं।
दया करने का अर्थ किसी को असहाय समझना होता है, जबकि बुजुर्ग असहाय नहीं, बल्कि हमारे मार्गदर्शक होते हैं। उनके अनुभव हमें सही दिशा दिखाते हैं। यदि हम उन्हें सम्मान दें, उनकी बातों को महत्व दें और उनके साथ समय बिताएँ, तो परिवार में प्रेम, संस्कार और सामंजस्य बढ़ता है।
इसलिए प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह बुजुर्गों का सम्मानपूर्वक ख्याल रखे और उनके जीवन को सार्थक बनाए।
भाषा बिंदु
१) निम्नलिखित क्रियाओं के प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए :
| अ.क्र. | मूल क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
|---|---|---|---|
| १. | भूलना | ——— | ——— |
| २. | पीसना | ——— | ——— |
| ३. | माँगना | ——— | ——— |
| ४. | तोड़ना | ——— | ——— |
| ५. | बेचना | ——— | ——— |
| ६. | कहना | ——— | ——— |
| ७. | नहाना | ——— | ——— |
| ८. | खेलना | ——— | ——— |
| ९. | खाना | ——— | ——— |
| १०. | फैलना | ——— | ——— |
| ११. | बैठना | ——— | ——— |
| १२. | लिखना | ——— | ——— |
| १३. | जुटना | ——— | ——— |
| १४. | दौड़ना | ——— | ——— |
| १५. | देखना | ——— | ——— |
| १६. | जीना | ——— | ——— |
उत्तर :
| अ.क्र. | मूल क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
|---|---|---|---|
| १. | भूलना | भूलाना | भूलवाना |
| २. | पीसना | पिसाना | पिसवाना |
| ३. | माँगना | मँगाना | मँगवाना |
| ४. | तोड़ना | तुड़ाना | तुड़वाना |
| ५. | बेचना | बेचाना | बेचवाना |
| ६. | कहना | कहलाना | कहलवाना |
| ७. | नहाना | नहलाना | नहलवाना |
| ८. | खेलना | खिलाना | खिलवाना |
| ९. | खाना | खिलाना | खिलवाना |
| १०. | फैलना | फैलाना | फैलवाना |
| ११. | बैठना | बैठाना | बैठवाना |
| १२. | लिखना | लिखाना | लिखवाना |
| १३. | जुटना | जुटाना | जुटवाना |
| १४. | दौड़ना | दौड़ाना | दौड़वाना |
| १५. | देखना | दिखाना | दिखवाना |
| १६. | जीना | जिलाना | जिलवाना |
२) पठित पाठों से किन्हीं दस मूल क्रियाओं का चयन करके उनके प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप निम्न तालिका में लिखिए :
| अ.क्र. | मूल क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
|---|---|---|---|
| १. | ——— | ——— | ——— |
| २. | ——— | ——— | ——— |
| ३. | ——— | ——— | ——— |
| ४. | ——— | ——— | ——— |
| ५. | ——— | ——— | ——— |
| ६. | ——— | ——— | ——— |
| ७. | ——— | ——— | ——— |
| ८. | ——— | ——— | ——— |
| ९. | ——— | ——— | ——— |
| १०. | ——— | ——— | ——— |
उत्तर :
| अ.क्र. | मूल क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
|---|---|---|---|
| १. | करना | कराना | करवाना |
| २. | छोड़ना | छुड़ाना | छुड़वाना |
| ३. | पीना | पिलाना | पिलवाना |
| ४. | पढ़ना | पढ़ाना | पढ़वाना |
| ५. | चलना | चलाना | चलवाना |
| ६. | लिखना | लिखाना | लिखवाना |
| ७. | सीखना | सिखाना | सिखवाना |
| ८. | लटकना | लटकाना | लटकवाना |
| ९. | देना | दिलाना | दिलवाना |
| १०. | बोलना | बुलवाना | बोलवाना |
उपयोजित लेखन
‘मेरा प्रिय वैज्ञानिक’ विषय पर निबंध लेखन कीजिए।
उत्तर :
मेरे प्रिय वैज्ञानिक डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम हैं। उनका जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम् नामक छोटे-से गाँव में हुआ। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद उन्होंने कठिन परिश्रम और लगन के बल पर उच्च शिक्षा प्राप्त की। डॉ. कलाम ने भारत के अंतरिक्ष और रक्षा अनुसंधान क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उन्होंने स्लव-3, अग्नि, पृथ्वी जैसी उन्नत मिसाइलों का निर्माण किया, जिसके कारण उन्हें “मिसाइल मैन ऑफ इंडिया” कहा जाता है। वे इसरो (ISRO) और DRDO के प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक थे। भारत के पोखरण-2 परमाणु परीक्षण में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिसने विश्व में भारत की वैज्ञानिक शक्ति को स्थापित किया।
डॉ. कलाम का व्यक्तित्व अत्यंत सरल और सौम्य था। वे युवाओं को बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देते थे। उनका यह वाक्य – “सपना वह नहीं जो आप सोते समय देखते हैं, सपना वह है जो आपको सोने न दे” – मेरे जीवन का मार्गदर्शक है।
उनका देशप्रेम, मेहनत, ईमानदारी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण उन्हें अद्वितीय बनाते हैं। इन्हीं गुणों के कारण वे मेरे प्रिय वैज्ञानिक हैं।