कबीर स्वाध्याय

कबीर स्वाध्याय

कबीर स्वाध्याय इयत्ता नववी हिंदी

पठनीय

संत कबीर जी के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कीजिए तथा कक्षा में उसका वाचन कीजिए |

उत्तर :

कबीर का जन्म 1398 में काशी में हुआ | उनके जन्म के बारे कई कथाएँ प्रचलित है | उनके माता-पिता के विषय में भी निश्चित राय नहीं है | नीरू और नीमा नामक जुलाहा दम्पत्ति ने उनका पालन-पोषण किया | बाद में उनका विवाह लोई नामक लड़की से हुआ जिनसे उन्हें कमाल और कमाली नामक बच्चे हुए | कबीर साधु वृत्ति के होने के कारण उन्हें दाम्पत्य जीवन में विशेष रूचि नहीं थी | अत: वे घर परिवार से दूर रहे | कबीर समाज सुधारक भी थे और कवि भी| अपनी कविता के माध्यम से उन्होंने समाज में व्याप्त दंभ, आडम्बर और कुरीतियों पर कुठाराघात किया | वे सत्य, अहिंसा और सदाचार के उपासक थे | उन्होंने समाज में पाए जाने वाले भेदभाव का विरोध किया | कबीर ने हिन्दू और मुसलमानों के बीच भेद मिटाने का अथक प्रयास किया | उनकी मृत्यु के समय हिन्दू और मुसलमान उनके शव लिए आपस में लड़ने लगे थे | हिन्दु उनका अंतिम संस्कार अपनी रीति से करना चाहते थे और मुसलमान उनकी रीति से | सब उनके शव से चादर हटाई गई उन पर फूल पाए गए | तब आधे फूल हिन्दुओं ने लिए और आधे मुसलमानों ने और उन्होंने अपनी-अपनी प्रथाओं के अनुसार उन फूलों का अंतिम संस्कार किया | उनकी समाधि आज भी मगहर में है जिसे हिन्दु और मुसलमान दोनों पूजते हैं | कबीर ही उपदेश उनकी साखी, बीजक, उलटबासी, बावन-अक्षरी, रमैनी में पाए जाते हैं| गुरु ग्रंथ साहिब में उनके 200 पद और 250 साखियाँ हैं |

सूचना के अनुसार कृतियाँ :-

1) संजाल :

उत्तर :

2) परिच्छेद पढ़कर प्राप्त होने वाली प्रेरणा लिखिए :

उत्तर :

यह परिच्छेद ईश्वर प्राप्ति के लिए भक्ति मार्ग अपनाने की प्रेरणा देता है | ईश्वरीय प्रेम अथवा भक्ति की प्राप्ति के लिए अदम्य साहस और असंहकार शून्य होने की आवश्यकता होती है | प्रेम की प्राप्ति शीष देकर अर्थात अहंकार को त्याग करने से हो होती है | इस तरह अपना सर्वस्व ईश्वर चरणों में अर्पित कर भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा इस परिच्छेद से प्राप्त होती है |

लेखनीय

‘कबीर संत ही नहीं समाज सुधारक भी थे’ इस विषय पर विचार लिखिए |

उत्तर :

काबिर केवल कवि ही नहीं, परंतु क्रान्तिकारी समाजसुधारक भी थे | जिस समय कबीर का जन्म हुआ, उस समय उनके समाज की दशा शोचनीय थी | समाज बुराई, दुराचरण, अराजकता, आडंबर से व्याप्त था | समाज में अन्धविश्वास, विषमता, विलासप्रियता, स्वेच्छाचार कूट-कूटकर भरा हुआ था | धर्मान्धता, छल-कपट, आपसी ईर्ष्या, दंभ-पाखंड आदि को बोलबाला था | समाज का निम्न वर्ग अत्यंत पीड़ित और त्रस्त था | कबीर तत्कालीन समाज के रूढ़िवाद और कट्टरपंथ के आलोचक थे | समाज की इस दुर्गति का कबीर ने अपनी कविता के माध्यम से डटकर सामना किया | उन्होंने भेदभाव, विद्वेष को भुलाकर भाईचारे में रहने की प्रेरणा प्रदान की | उन्होंने हमेशा मानवता को धर्म से अधिक महत्त्व किया | कबीर ने हिन्दू और मुसलमानों के बीच भेद मिटाने का अथक प्रयास किया | सामाजिक विषमता दूर करना ही उनकी प्राथमिकता थी | उन्होंने तत्कालीन समाज को सन्मार्ग पर लाने का प्रयास किया | उनकी रचनाएँ सामाजिक चेतना से ओत-प्रोत है | कबीर को समाज के जागरण युग का अग्रदूत कहा जाता है |

मौलिक सृजन

संतों के वचन समाज परिवर्तन में सहायक होते हैं’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए |

उत्तर :

‘आग लगी आकाश में बरस रहा संसार, संत न होते जगत में जल मरता संसार’ | प्राचीनकाल से ही संत संसार में मानवीय मूल्यों के उत्थान का कार्य करते आए है | संत समाज को दया, प्रेम, करुणा, मानवता का संदेश देते आए है |

जब-जब भी समाज नफरत, घृणा, हिंसा, अराजकता और विध्वंस की अंधेरी गर्त में गिरा है तब-तब किसी न किसी संत ने अपने शुद्ध आचरण, भक्ति, करुणा, ज्ञान के प्रसार से संसार की गंदगी को धोया है | संतों के विचार मौलिक चिंतन और साधना से जन्म ले लेते है | अपने वचनों से जब संत अपने विचार प्रकट करते है तब उनके शब्दों से साधना की शक्ति का संचार होता है | और वह शक्ति लोगों का हृदय परिवर्तन करती है | इस तरह संतों के वचन समाज परिवर्तन में सहायक होते है |

संत कबीर, रहीम, तुलसीराम, जनाबाई, मीराबाई इनके वचन सदियों से समाज का मार्गदर्शन एवं पुर्नउत्थान करते आए है | यह महात्मा गांधी का संतत्व ही था जिसने देश के लोगों में जागरूकता लाकर आजादी की प्यास जगा दी | निश्चित ही संतों के वचन समाज में परिवर्तन का कार्य करते है |

आसपास

मन की एकाग्रता बढ़ाई की कार्य पद्धति की जानकारी अंतरजाल/यू ट्यूब से प्राप्त कीजिए |

उत्तर :

धर्मग्रंथों में लिखा है कि मन सब वस्तुओं में चंचल है | उसे काबू कर पाना अति कठिन है | अत: मन को शान्त करने और उसे एकाग्र करने की कुछ पद्धतियाँ हम अपना सकते हैं |

सबसे पहले, मन को एकाग्र का सबसे बड़ा उपाय है ध्यान-मनन करना | धर्म ग्रन्थ से कुछ पवित्र वचनों को लेकर उन पर मनन चिंतन करना |

दूसरी बात, कुछ शारीरिक व्यायाम भी मन को एकाग्र करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं | शरीर में नवीन ऊर्जा का संचार होने से मन भी शान्त होता है | कभी-कभी बच्चे भी अपने अध्ययन में मन एकाग्र नहीं कर सकते | ऐसे समय में उन्हें कुछ चित्र बनाने के लिए कहें, उनमें रंग भरने के लिए कहें | उनके साथ कुछ रचनात्मक खेल खेले जा सकते हैं | यदि बच्चा बड़ा है तो उसे गणित की समस्याएं सुलझाने के लिए दें |

आत्म-परीक्षण करना | यदि आपको लगता है कि आपका मन बेचैन है, तनाव ग्रस्त है, तो उनका कारण खोजने का प्रयास करें | क्या आपका किसी से विवाद हुआ, या अपने कोई गलती की, किसी के साथ बुरा व्यवहार किया | आप अन्य अनुभवी लोगों से भी मशवरा प्राप्त कर सकते हैं | इन सारे उपायों से मन को एकाग्र किया जा सकता है |

पाठ के आँगन में

1) सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

संजाल :

उत्तर :

2) सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए :-

क) कबीर के मतानुसार प्रेम किसी,

1. खेत में नहीं उपजता |

2. गमले में नहीं उपजता |

3. बाग में नहीं उपजता |

उत्तर :

खेत में नहीं उपजता |

ख) कबीर जिज्ञासु थे,

1. मिथ्या के |

2. सत्य के |

3. कथ्य के |

उत्तर :

सत्य के |

भाषा बिंदु

उपसर्ग-प्रत्यय

रेखांकित शब्दों से उपसर्ग और प्रत्यय अलग करके लिखिए :

उत्तर :

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