चांदनी रात स्वाध्याय

चांदनी रात स्वाध्याय

चाँदनी रात कविता स्वाध्याय

आसपास

आपके परिवेश के किसी सुंदर प्राकृतिक स्थल का वर्णन निम्न लिखित मुद्दों के आधार पर कीजिए :

उत्तर :

हमारा देश प्राकृतिक सौंदर्य से सुसज्जित है| प्रकृति के सौंदर्य की विभिन्न छटाएँ यहां देखने मिलती है| ऐसे ही प्राकृतिक स्थलों में एक है चिखलदरा| चिखलदरा पहाड़ों की गोद में बसा एक मनभावन पर्यटन स्थल है| यह महाराष्ट्र के अमरावती जिले में आता है| यह विदर्भ का एकमात्र हिल स्टेशन है| पौराणिक समय में चिखलदरा का नाम कीचक कंदरा था जहाँ महाभारत काल में भीम के कीचक नामक राक्षस का वध किया था| चिखलदरा की अनुपम सुंदरता का दर्शन हरीकेन पॉईट, प्रोस्पेक्ट पॉईट और देवी पॉईट से किया जा सकता है| यहाँ की गहरी खाईयाँ कोहरे में छिपी और मखमली हरियाली ओढ़े रहती है| यहाँ के पानी के झरने, सूर्य की किरणों में रूपहली आभा बिखेरते जलप्रपात, मनोहारी झीले पर्यटन को अपने आकर्षण में बाँध लेते हैं| चिखलदरा अनेक वन्य जीवों की आश्रम स्थली है| वन्य जीवों में चीता, जंगली सुअर, स्लॉथ बेयर, सांभर आदि का समावेश है| यहाँ जंगली कुत्ते भी देखे जा सकते हैं| चिखलदरा मेलघाट टाईगर प्रोजेक्ट के लिए भी प्रसिद्ध है| यह अभयारण्य लगभग 82 बाघों का प्राकृतिक अधिवास केन्द्र है| चिखलदरा महाराष्ट्र का एकमात्र कॉफी उत्पादन क्षेत्र है|

कल्पना पल्लवन

‘पुलक प्रगट करती है धरती हरित तृणो की नोकों से,’ इस पंक्ति का कल्पना विस्तार कीजिए |

उत्तर :

प्रकृति के अप्रतिम सौंदर्य का वर्णन करतें हुए कवि कहते है की चांदनी रात में प्रकृति आनंदित होकर हरी हरी घासपर ओसरूपी मोती बिखेर रही है| इस तरह मानो हरित तृणो पर ओस रूपी खुशी के अश्रुओ को बिखेर कर वह अपना आनंद प्रकट कर रही है|

पठनीय

संचार माध्यमों से ‘राष्ट्रीय एकता’ पर आधारित किसी समारोह की जानकारी पढ़िए |

उत्तर :

31 अक्टूबर 2023 को सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन के अवसर पर काटोल रोड कॉलोनी के राष्ट्रसंच द्वारा ‘राष्ट्रीय एकता’ पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया| इस कार्यक्रम के अध्यक्ष मान्यवर अतिथि के रूप में जिलाधिकारी थे| इस कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य नागरिकों और विशेषकर जवानों में राष्ट्रीय सद्भावना, एकता, अखण्डता तथा समाज सुरक्षा की भावना के प्रति जागरूकता निर्माण करना था| सर्वप्रथम सामूहिक राष्ट्रगान से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया| उसके बाद काटोल रोड के कम्यूनिटी हॉल से लेकर कस्तूरचंद पार्क तक और वहां से वापस प्रभात फेरी निकाली गई| लोगों के हाथों में घोषणाओं के बड़े बड़े पोस्टर थे| जवानों ने राष्ट्रीय एकता के विषय में जोर – शोर से नारे लगाए और कौमी एकता के गीत भी गाए| प्रभात फेरी के बाद मान्यवर अतिथि द्वारा उपस्थित लोगों के लिए राष्ट्रीय एकता पर संदेश दिया गया| उन्होंने अपने व्याख्यान में लोगों को उपदेश दिया कि वे अपने भाषा, धर्म, जाति और क्षेत्र के भेदभावों को भूलकर राष्ट्रीय एकता के सूत्र में बंध जाएं| इस समारोह में पोस्टर बनाना, रंगोली आदि की प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया था जिसमें महिलाओं और बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया| विजेताओं को उपयुक्त पुरस्कार दिए गए| इस समारोह की यादगार के रूप में कम्यूनिटी हॉल के अहाते में वृक्षारोपण किया गया|

लेखनीय

‘प्रकृति मनुष्य की मित्र है’, स्पष्ट कीजिए |

उत्तर :

हमारा जीवन प्रकृति के साथ शुरू होता है और प्रकृति के साथ ही खत्म होता है| पेड़, पौधे, पशु -पक्षी, मनुष्य यह सब प्रकृति के अभिन्न अंग है| प्रकृति ने ही सबकों जीवन प्रदान किया है| मनुष्य प्रकृति की सर्वश्रेष्ठ रचना है|

प्रकृति ने न केवल मनुष्य को जीवन दिया है अपितु एक मां की तरह मनुष्य का लालन पालन भी प्रकृति ही करती है| मनुष्य अपने जीवन यापन की सभी आवश्यकताएं प्रकृति से ही पूर्ण करता है| श्वसन हेतु ऑक्सीजन हो या रोटी, कपड़ा और मकान अपनी हर जरूरत के लिए मनुष्य अथवा प्राणी प्रकृति पर ही निर्भर करता है|

जिस तरह एक थके हुए यात्री को पेड़ की छाव प्रदान कर प्रकृति अपना वात्सल्य प्रदान करती है उसी तरह मन से परेशान कोई व्यक्ति किसी नदी अथवा समुद्र के तट पर प्रकृति के प्रेम को पाकर शांति का अनुभव करता है| प्रकृति को गोद में ही किसी लेखक, कवि अथवा चित्रकार की कल्पना पुष्पित व पल्लवित होती है|

प्रकृति मनुष्य की अंतरंग मित्र है| मनुष्य को लुभाने के लिए प्रकृति रोज नये सुंदर दृश्य प्रकट करती है| पंछियों के माध्यम से वह मनुष्य को सुंदर गीत सुनाती है| इस तरह प्रकृति जीवन को नए रंगो से भर देती है| परंतु अपने स्वार्थ के वशीभूत मनुष्य प्रकृति के इस उपकार को भूला बैठा है| पेड़, पौधे, पशु, पक्षी प्रकृति के अभिन्न अंग है| आधुनिकता के विकास और भौतिकतावाद को होड़ में मनुष्य पेड़-पौधो व जंगलों को काटता जा रहा है| और इस प्रकार वह पशु-पक्षियों एवं पर्यावरण के सभी अंगो को हानि पहुचाकर नष्ट कर रहा है| प्रकृति के इस ऱ्हास से मनुष्य को भी दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे| अत: मनुष्य को पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर प्रकृति की सुरक्षा पर ध्यान देना होगा|

पाठ के ऑगन में

1) सूचनानुसार कृतियाँ कीजिए |

अ) संजाल

उत्तर :

ख) चाँदनी रात की विशेषताएं :

उत्तर :

2) निम्नलिखित पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए :

च) चारु चंद्र …………………… झोंको से |

उत्तर :

प्रस्तुत पंक्तियां कवि श्री. मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित ‘चाँदनी रात’ नामक कविता से ली गई हैं| प्रस्तुत कविता कवि द्वारा रचित ‘पंचवटी’ खंडकाव्य का एक अंश है| कवि ने पंचवटी की अप्रतिम शोभा का वर्णन बड़े सुंदर ढंग से किया है| सुंदर चंद्रमा की चंचल किरणों का प्रतिबिंब जल थल में पड़ रहा है, ये किरणे धरती पर भी अपनी रूपहली आभा बिखरे हुई है जिसे देखकर ऐसा लगता है मानो ये किरणें जल थल में खेल रही हों| धरती और आकाश में चारों ओर स्वच्छ चाँदनी अपना शुभ्र प्रकाश बिखेर रही है| चाँदनी रात की इस मनोहारी छटा से आनंदित प्रकृति हरे पत्तो पर शबनम बिखेर कर अपना आनंद प्रकट कर रही है| मंद पवन के झोंको से आनंदित हो पेड़ भी मस्ती में झूम रहे है|

छ) क्या ही स्वच्छ …………………. शांत और चुपचाप |

उत्तर :

कवि ने यहाँ प्रकृति की अनुपम छटा का मनोहारी वर्णन किया है| कवि कहते है की यह बेहद स्वच्छ चांदनी है और रात अत्यंत निस्तब्ध अर्थात शांत है| इस पवित्र वातावरण में बहती मंद पवन स्वच्छंद सुगंध बिखेर रही है| प्रकृति में व्याप्त अद्वितीय आनंद से कोई दिशा वंचित नही अर्थात चहू और मौन आनंद व्याप्त है| इस शांत और स्थिर वातावरण में भी नियती नटी सुचारू रूप से कार्यशील है परंतु वह भी अपने कार्यकल्पो से प्रकृति की इस शांति को भंग न कर शांत व एकांत भाव से कार्यरत है|

संभाषणीय

शरद पूर्णिमा त्याहोर के बारे में चर्चा कीजिए |

उत्तर :

आश्विन शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं| इसे कोजागरी और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है| इस दिन चाँद अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है| कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चाँद धरती पर अमृत वर्षा करता है| इस दिन चाँद की पूजा की जाती है| लोग खीर बनाकर या दूध गर्म कर उसे रातभर चाँद की किरणों में खुले आसमान के नीचे रख देते हैं| इस दूध या खीर का सेवन सुबह किया जाता है| इस दिन व्रत रखा जाता है और पूरा परिवार मिलजुलकर यह त्याहोर मनाता है|

पाठ से आगे

उत्तर :

नीले आकाश में जगमग तारे

हँसते मुस्काते अनुपम न्यारे

पर्वत पर चाँदनी बिखेरती आभा

पृथ्वी की गोद में छायी है शोभा

नदी भी उछलतीबटोरती मोती

रजनी के गीत कलकल कर गाती

भाषाबिंदु

निम्न शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :

उत्तर :

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