हे मातृभूमि स्वाध्याय

हे मातृभूमि स्वाध्याय

हे मातृभूमि स्वाध्याय इयत्ता आठवी हिंदी

कल्पना पल्लवन

‘मातृभूमि की सेवा में जीवन अर्पण करना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है,’ इस कथन पर अपने विचार लिखो |

उत्तर :

जननी और जन्मभूमि का स्थान स्वर्ग से भी श्रेष्ठ एवं महान है| जिस प्रकार माता बच्चो को जन्म देती है तथा उनका लालन – पालन कराती है| उसी प्रकार जन्मभूमि जन्मदात्री की भांति ही अनाज उत्पन्न करती है वह अनेक प्राकृतिक विपदाओं को झेलते हुए भी हमारा लालन -पालन करती है| जन्मदात्री की तरह ही जन्मभूमि का स्थान भी श्रेष्ठ है| जन्मभूमि भी तो माता का ही एक रूप है| जहाँ हम हंसते – खेलते हुए बड़े होते है| उसी का अन्न, जल, फल – फूल खाकर हमारे शरीर और मस्तिष्क का विकास होता है| जन्मभूमि हमारे लिए वंदनीय है| उसके ऋण से हम कभी मुक्त नहीं हो सकते है| इसकी रक्षा और सम्मान हमारा कर्तव्य है| मातृभूमि की सेवा एवं रक्षा के लिए हमे सदैव तत्पर रहना चाहिए| मातृभूमि की सेवा में जीवन अर्पण करना ही हम सब का कर्तव्य है| हमारे देश में कोई ऐसे महामानव एवं सच्चे सपूतो के अनगित नाम इतिहास के पन्नो में अंकित है, जिन्हांने जन्मभूमि की आन, बान और शान के लिए हँसते – हँसते अपने प्राणों की बलि दे दी, उनके त्याग और बलिदान ने संपूर्ण देश को गौरवान्वित किया है| अपनी मातृभूमि के लिए अपने कर्तव्यो का पालन करना एक नागरिक का अपने राष्ट्र के प्रति सम्मान को प्रदर्शित करता है| हर किसी को मातृभूमि की सेवा में जीवन अर्पण कर सभी नियमों का पालन करने के साथ ही विनम्र और राष्ट्र (मातृभूमि) के लिए वफादार होना चाहिए|

सूचना के अनुसार कृतियाँ करो :

1) कृति पूर्ण करो :

उत्तर :

2) कृति पूर्ण करो :

उत्तर :

3) एक शब्द में उत्तर लिखो :

1. कवि की जिह्वा पर इसके गीत हों –

उत्तर :

मातृभूमि

2. मातृभूमि के चरण धोने वाला –

उत्तर :

समुद्र

3. मातृभूमि के सपूत –

उत्तर :

राम – कृष्ण

4. प्रतिदिन सुनने/सुनाने योग्य नाम –

उत्तर :

मातृभूमि (भारत माता)

5. मातृभूमि के चरणों में इसे नवाना है –

उत्तर :

शीश

4) कविता की पंक्तियाँ पूर्ण करो :

सेवा में तेरी ………………………….. ;

………………………………………….||

…………………………………………..|

……………………. बलिदान मैं जाऊं||

उत्तर :

सेवा में तेरी माता ! मैं भेदभाव तजकर ;

वह पुण्य नाम तेरा, प्रतिदिन सुनूं – सुनाऊं ||

तेरे ही काम आऊं, तेरी ही मंत्र गाऊं |

मन और देह तुम पर बलिदान मैं जाऊं ||

भाषा बिंदु

निम्न विराम चिन्हों के नाम लिखकर उनका वाक्य में प्रयोग करो :

| ; ? – ! ‘ ‘ ” ” _

विराम चिन्ह नाम वाक्य
| पूर्ण विराम सीता चली गयी है|
;अद्र्ध विराम जब भी मोहन आता है; तुम भी आ जाते हो|
?प्रश्नवाचक वह लड़का कौन है ?
योजक चिन्ह उसने लक्ष्य प्राप्ति में दिन-रात एक कर दिया|
!विस्मयादिबोधक पिताजी ! मैं बाहर जाऊं|
‘ ‘ उद्धरण चिन्ह ‘इकहरा’‘कामायनी’ एक प्रसिद्ध रचना है|
” “उद्धरण चिन्ह “दुहरा”“रघुकुल रीति सदा चली आइ|
प्राण जय पर बचन न जाई”|
_निर्देशक चिन्ह अध्यापक – तुम जा सकते हो|
जैसे – अनार, आम, संतरा|

उपयोजित लेखन

शब्दों के आधार पर कहानी लिखो :

ग्रंथालय, स्वप्न, पहेली, काँच

उत्तर :

एक राजा का दरबार लगा हुआ था सर्दी के दिन थे इसलिये राजा का दरबार खुले में बैठा था पूरी आम सभा सुबह की धूप में बैठी थी| महाराज ने सिंहासन के सामने एक टेबल जैसी कोई कीमती चीज रखी थी| पंडित, दिवान आदि सभी दरबार में बैठे थे | राजा के परिवार के सदस्य भी बैठे थे| उसी समय एक व्यक्ति आया और प्रवेश मांगा| प्रवेश मिल गया तो उसने कहा, ‘मेरे पास दो वस्तुएं है, मैं हर राज्य के राजा के पास जाता हूं, और अपनी बात रखा हूं कोई परख नहीं पाता, सब हार जाते है और मैं विजेता बनकर घूम रहा हूं|’ राजा ने उसे बुलाया और कहां, “क्या बात है? तो उसने दो वस्तुएं टेबल पर रख दी| दोनो वस्तुएं बिलकुल समान आकार, रंग, रुप, समान प्रकाश, सब कुछ नख शिख एक समान थे व्यक्ति ने कहा कि इसमें से एक बहुत कीमती हीरा और एक कॉच का टुकड़ा है, जिसे आज तक कोई परख नहीं pya hei| यदि आपके राज्य में कोई इसे परख कर बताऐंगा तो मैं हार जाऊंगा और हीरे को में आपके राज्य की तिजोरी में जमा कर दूंगा| यदि कोई पहचान न पाया तो इस हीरे को जो कीमत है उतनी धनराशि आपको मुझे देनी होगी| इसी प्रकार मैं कई राज्यो से जीतता आया हूं|

राजा ने कहां, ‘मैं तो नही परख सखूंगा’| राजा के अतिरिक्त सभी दरबारियों, विद्वान, राजदरबारी, पंडित कोई भी इस पहेली को सुलझा नही पा रहा था| राज ग्रंथालय अनेक से पुस्तको को लाकर पहेली सुलझाने का प्रयास किया गया| परंतु सब व्यर्थ | आखिरकार पीछे थोड़ी हलचल हुए एक अंधा आदमी हाथ में लाठी लेकर उठा| वह जन्म से ही अंधा था| उसने कहा, “एक अवसर मुझे भी दो| मैं भी एक बार अपनी बुद्धि को परखू|” राजा ने सोचा आखिर सब हिम्मत हार चुके है तो इसे अवसर देने में क्या हर्ज है| उस आदमी ने एक मिनट में कह दिया की ‘यह हीरा है’ और ‘यह कॉच’| जो इतके राज्यो को जीतकर आया था वह नतमस्तक हो गया बोला, “आप सहीं है”| अपने कहे अनुसार उसने हीरे को राज्य की तिजोरी में जमा कर दिया | राजा ने स्वप्न में भी न सोचा था की वह अंधा आदमी एक मिनट में कॉच व हीरे में भेद बता देगा| सब अत्यंत खुश हुए| राजा और अन्य सभी लोगो ने उस व्यक्ति से जिज्ञासा जताई की तुमने यह कैसे पहचाना उस अंधे ने कहा की सीधी सी बात है मालिक धूप में हम सब बैठे है| मैंने दोनो को छुआ जो ठंडा रहा वह हीरा जो गरम हो गया वह कॉच है| जीवन में भी देखना जो बात – बात में गरम हो जाये उलझ जाये वह कॉच जो विपरीत परिस्थितियों में भी ठंडा रहे वह हीरा है|

सीख – मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में भी सदैव उन परिस्थितियों का मुकाबला सरल व शांत रहकर करना चाहिए|

स्वयं अध्ययन

‘विकास की ओर बढ़ता हुआ भारत देश’ से संबंधित महत्त्वपूर्ण कार्य की सूची बनाओ |

उत्तर :

‘विकास की ओर बढ़ता हुआ भारत देश’ से संबंधित महत्त्वपूर्ण कार्य की सूची इस प्रकार है|

i) भारत में सूचना प्रौद्योगिकी की महत्त्वपूर्ण पहल|

ii) परिष्कृत पूर्व की ओर देखों नीति में विकास|

iii) राष्ट्रीय कौशल विकास निगम योजना विकास|

iv) सर्व शिक्षा अभियान का विकास|

v) भारत में पर्यटन का विकास|

vi) महिला विकास योजनाएं व कार्यक्रम का विकास|

vii) समग्र/ एकिकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम संकल्पना ‘मेरे संपनो का भारत’|

viii) “मेक इन इंडिया” अभियान ही सहायता से भारत पूर्ण रूप से स्वावलम्बी बनाने की कोशिश की जा रही है|

ix) बहुत से प्रधानमंत्री कौशल योजनाओं का विकास|

x) ग्राम विकास रणनीति का एकमात्र साधन सहकारिता|

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