गाँव और शहर स्वाध्याय
गाँव और शहर स्वाध्याय इयत्ता आठवी हिंदी
कल्पना पल्लवन
भारतीय संस्कृति के दर्शन देहातों में होते हैं’ इस तथ्य पर अपने विचार लिखो |
उत्तर :
भारत गाँवो का देश है| असली भारत गाँवो (देहातों) में बसता है| भारतीय संस्कृति अब भी भी गाँव-गाँवो में है| गाँवो में भारतीय संस्कृति के दर्शन होते है| यहां भारत की सदियों से चली आ रही परंपराए आज भी विद्यमान है| यहां के लोगों में अपनापन और सामाजिक घनिष्ठता पाई जाती है| यहां हरियाली और शांति होती है|
भारतीय ग्राम्य-जीवन सादगी और प्राकृतिक शोभा का भण्डार है यहां आबोहवा में जीना सचमुच आनंदमयी होता है| गाँवो में उत्सवों और मेलों की धूम रहती है| यहां होली, बैसाखी, पोंगल, ओणम, दीवाली, दशहरा, ईद जैसे त्योंहार परम्परागत तरीके से मनाए जाते है| गाँवो में त्योहारों पर लोग आपस में मिलते-जुलते है| गाँवो के लोंगों में एकता, एक – दूसरे के प्रति सम्मान, आदर, विश्वास भाईचारा व्याप्त है| अतिथियों को आज भी यहां देव मानते है| गाँव सभी प्रकार के रीति – रिवाजो से परिपूर्ण है| अत: यह सत्य ही है की भारतीय संस्कृति के दर्शन के देहातों में होते है|
सूचना के अनुसार कृतियाँ करो :-
1) तुलना करो :
गाँव | शहर |
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…………………….. | …………………….. |
……………………….. | …………………….. |
……………………….. | …………………….. |
उत्तर :
गाँव | शहर |
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i) गाँव टुकुर-टुकुर देखता है| | i) शहर आँखे फाड़कर देखता है| |
ii) गाँव के लोग शहरों में जाने से गाँव खाली हो रहे है| | ii) शहरों में अत्यधिक भीड़ होने से तिल रखने तक की जगह नहीं है| |
iii) गाँव के खेत खलिहान सूख रहे है खेतों पर काम बंद है| | iii) शहरों में लोग गाँव से कमाने खेतो के लिए आते है| |
2) उचित जोड़ियॉ मिलाओ :
अ | उत्तर | आ |
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1. मेट्रो | ………………………. | गाँव |
2. पीपल | …………………….. | कस्बा शहर |
उत्तर :
अ | उत्तर | आ |
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1. मेट्रो | शहर | गाँव |
2. पीपल | गाँव | कस्बा शहर |
3) कृति पूर्ण करो :
1.
उत्तर :
2.
उत्तर :
4) एक शब्द में उत्तर लिखो :
1. लंगड़ाकर चलने वाली –
उत्तर :
गाय
2. पत्ते झरा हुआ वृक्ष –
उत्तर :
पीपल
3. बदले-से लगते हैं –
उत्तर :
सुर
4. जहां तिल रखने की जगह नहीं –
उत्तर :
शहर
भाषा बिंदु
पाठ्यपुस्तक के पाठों से विलोम और समानार्थी शब्द ढूंढ़कर उनकी सूची बताओ और उनका और उनका अलग-अलग वाक्यों में प्रयोग करो|
उत्तर :
पाठ्यपुस्तक के पाठों से विलोम शब्द की सूची|
सपूत, दिन, पिता, बड़ी, राजा, बड़ा, तेज, प्रेम
विलोम शब्दों का वाक्यों में प्रयोग इस प्रकार है|
i) सपूत X कपूत
वा. प्र. – राम-कृष्ण मातृभूमि के सपूत है|
ii) दिन X रात
वा. प्र. – उस दिन बारिश ही रही थी|
iii) पिता X माता
वा. प्र. – राम के पिता अत्यंत साहसी है|
iv) राजा X रानी
वा. प्र. – राजा की चार रानियाँ थी|
v) बड़ा X छोटा
वा. प्र. – बरगद का वृक्ष बहुत बड़ा है|
vi) तेज X धीमा
वा. प्र. – यहां बारिश बहुत तेज हो रही है|
vii) प्रेम X घृणा
वा. प्र. – राम एवं रहीम में अत्यधिक प्रेम है|
पाठ्यपुस्तक के पाठों से समानार्थी शब्दों की सूची –
देह, शीश, उत्तराधिकारी, घृणा, आचरण, जिज्ञासा
समानार्थी शब्द का वाक्यों में प्रयोग
i) देह – शरीर
वा. प्र. – मातृभूमि के लिए मेरा मन और देह समर्पित है|
ii) शीश – सिर
वा. प्र. – मातृभूमि के चरणों में शीश झुकता है|
iii) उत्तराधिकारी – वारिस
वा. प्र. – मेरा पुत्र ही मेरा उत्तराधिकारी है|
iv) घृणा – नफरत
वा. प्र. – मुझे झूठ बोलने वालो से अत्यधिक घृणा है|
v) आचरण – बर्ताव, व्यवहार
वा. प्र. – राम का आचरण लोगों से अच्छा है|
vi) जिज्ञासा – उत्सुकता
वा. प्र. – मोहन अत्यधिक जिज्ञासु प्रवृत्ति का विद्यार्थी है|
उपयोजित लेखन
वृक्ष और पंछी के बीच का संवाद लिखो |
उत्तर :
वृक्ष की एक डाल पर अपनें घोंसले में एक पंछी उदास बैठा है| वृक्ष उसे पुकारता है|
“ओ, प्यारे पंछी, तुम क्यों उदास बैठे हो| ओर जब तक तुम यहां बैठे रहोंगे| तुम भी अपने अन्य साथीयो की तरह जंगल की ओर उड़ जो|”
पंछी – प्रिय वृक्ष आप मेरे आश्रमदता है| बरसो से मैं मेरा परिवार और अनेक पंछियों की प्रजातियॉ आप से आश्रय और भोजन प्राप्त कर रहे है| आज मनुष्य आपको काट रहा है धीरे -धीरे आपकी कई शाखाएं कट गई| ऐसे विपरित समय में मैं आपको छोड़कर कैसे जाऊं|
वृक्ष – मित्र मेरी तो मजबूरी है मैं चल अथवा उड़ नहीं सकता| अन्यथा मैं भी जंगल भागकर अपनी जान बचाता| परंतु तुम उड़ने मे सक्षम हो| तुम मेरी परवाह न करो| जाओ जंगल में बसकर अपना नया संसार बसाओ| वैसे भी मैं अब तुम्हें आश्रय नहीं दे सकता|
पंछी – पता नहीं मनुष्य इतना निष्ठुर क्यों है| सदियों से आप मनुष्य को छांव, फल, अच्छा वातावरण, शुद्ध ऑक्सीजन देते आए है| उनके बच्चे आपकी छांव में खेले है और आज वही मनुष्य आपको काटकर अपना घर बना रहे हे| आपके न रहने से वातावरण कितना दूषित होगा| ऐसे में मनुष्य अथवा अन्य प्राणी कैसे जिऐंगे| शुद्ध हवा, ताजे, फल, ठंडी छांव के अभाव में क्या वे सुख पाऐंगे ?
वृक्ष – मनुष्य को तो भगवान ही सद्बुद्धि दे| परंतु मैं कर भी क्या सकता हूं| मेरा तो धर्म ही है सेवा करना| पहले मैं फल-फूल और शुद्ध हवा देकर सेवा करता था और मरने के बाद लाठी और इंधन देकर सेवा करूंगा| यही मेरा धर्म भी है और भाग्य|
पंछी – तुम महान हो मित्र| तुम पेड़ नहीं तुम देवता ही हो शायद इसीलिए मनुष्य के पूर्वज तुम्हारी पूजा करते थे|
वृक्ष – हे मित्र तुम अब उड़ जाओ और अपना नया संसार बसाओ| मनुष्य कुल्हाड़ी लेकर मुझे काटने आ रहा है| वह कहीं तुम्हे आघात न कर दे|
पंछी – अच्छा मित्र, आपने सदैव मुझे आश्रय और अन्न दिया, सदैव मेरी रक्षा की अत: मैं सदैव आपका आभारी रहूंगा| धन्यवाद| अलविदा!
स्वयं अध्ययन
यातायात के नियम, सांकेतिक चिह्न एवं हेल्मेट की आवश्यकता आदि के चार्टस बनाकर विद्यालय की दीवारें सुशोभित करो |
उत्तर :
यातायात के नियम –
i) लगातार हॉर्न का इस्तेमाल ना करे|
ii) ओवरटेक ना करे|
iii) सही दिशा में गाड़ी चलायें|
iv) मुड़ने के लिए इंडिकेटर या सीधे हाथ का इस्तेमाल करे|
v) वाहन को पार्किंग एरिया में ही पार्क करे|
vi) नो एंट्री एरिया में कोई भी वाहन ले जाना माना है|
vii) रेस ना लगाऐ|
viii) हेलमेट एवं सीट बेल्ट लगाना ना भूले|
यातायात के चिन्ह –
हेलमेट की आवश्यकता –
i) हेलमेट किसी हादसे की स्थिति में सिर को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने वाली चीजों से बचाता है|
जैसे – कोई पत्थर, कील, नुकीली तार, कंकड इत्यादी|
ii) हेलमेट में लगा कुशन शाक अब्जार्वर की तरह काम करता है और होने वाले चोट को बहुत कम कर देता है |
iii) सिर के बीच में हवा की मात्रा को कम कर देता है जिससे चोट कम लगती है|