निर्माणों के पावन युग में स्वाध्याय
निर्माणों के पावन युग में स्वाध्याय इयत्ता नववी हिंदी

श्रवणीय
वसुधैव कुटुंबकम् विषय पर समूह में चर्चा कीजिए और प्रभावशाली मुद्दों को सुनाइए :-
कृति के लिए आवश्यक सोपान :
- इस सुवचन का अर्थ बताने के लिए कहें।
- आज के युग में विश्व शांति की अनिवार्यता के बारे में पूछें।
- पूरे विश्व में एकता लाने के लिए आप क्या कर सकते हैं, बताने के लिए प्रेरित करें।
उत्तर :
“वसुधैव कुटुंबकम्” एक संस्कृत सुवचन है, जिसका अर्थ है – ‘संपूर्ण विश्व एक परिवार है।’ यह महान विचार प्राचीन भारतीय ग्रंथों से उत्पन्न हुआ है, जो आज भी मानवता के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत बना हुआ है। इसका सार यही है कि हर व्यक्ति चाहे किसी भी जाति, धर्म, देश या भाषा का हो, वह एक वैश्विक परिवार का सदस्य है और हमें एक-दूसरे के प्रति सम्मान, सहानुभूति और करुणा का व्यवहार करना चाहिए।
आज के युग में जब दुनिया युद्ध, आतंकवाद, असमानता, गरीबी और पर्यावरण संकट जैसी समस्याओं से जूझ रही है, तब विश्व शांति की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक हो गई है। ऐसी स्थिति में “वसुधैव कुटुंबकम्” का सिद्धांत वैश्विक समाधान प्रदान करता है। यह प्रेम, सहयोग, व्यक्तिगत जिम्मेदारी, समावेशिता और सामाजिक न्याय जैसे मूल्यों पर आधारित है, जो विश्व में एक स्थायी और शांतिपूर्ण वातावरण बनाने की दिशा दिखाता है।
समूह में चर्चा के दौरान यह भी सामने आया कि अगर हमें पूरे विश्व में एकता लानी है, तो हमें स्वयं से शुरुआत करनी होगी। हम दूसरों के विचारों का सम्मान करें, सांस्कृतिक विविधता को अपनाएं, समाज में सहयोग और सौहार्द बनाए रखें, और जरूरतमंदों की मदद करें। छोटे-छोटे प्रयास जैसे स्कूल या समाज में एकता के लिए कार्यक्रम आयोजित करना, पर्यावरण की रक्षा करना और सभी के साथ समान व्यवहार करना – यह सभी हमारे योगदान को सार्थक बना सकते हैं।
अंततः, “वसुधैव कुटुंबकम्” केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है, जिसे अपनाकर हम न केवल अपने देश को, बल्कि पूरी दुनिया को एक शांतिपूर्ण और समृद्ध स्थान बना सकते हैं।
कल्पना पल्लवन
“भौतिकता के उत्थानों में जीवन का उत्थान न भूलें।” इस पंक्ति को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आज की दुनिया में लोग भौतिक सुख-सुविधाओं और तकनीकी प्रगति को ही जीवन की सफलता मान बैठे हैं। विज्ञान और विकास के इस युग में हमने मानवीय मूल्यों, संस्कृति और संवेदनाओं को पीछे छोड़ दिया है। इसी कारण से आज का समाज स्वार्थ, ईर्ष्या और हिंसा से ग्रसित हो चुका है। मानवता की भावना, करुणा, सहानुभूति और नैतिकता जैसे गुण धीरे-धीरे लुप्त हो रहे हैं।
“भौतिकता के उत्थानों में जीवन का उत्थान न भूलें” — यह पंक्ति हमें यही स्मरण कराती है कि जितना हम बाहरी प्रगति पर ध्यान दे रहे हैं, उतना ही ज़रूरी है कि हम अपने भीतर के जीवन मूल्यों, आत्मिक विकास और नैतिक सोच को भी संजोकर रखें। केवल भौतिक सुखों से जीवन में सच्चा सुख और शांति नहीं मिलती; उसके लिए जरूरी है कि हम इंसानियत, प्रेम और सदाचार को भी महत्व दें।
इसलिए, सच्चा विकास वही है जो शरीर के साथ-साथ मन और आत्मा को भी समृद्ध करे।
संभाषणीय

उत्तर :
उन्नीस सौ साठ के दशक से लेकर वर्तमान तक भारत ने कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय घटनाओं का अनुभव किया है, जिनका प्रभाव देश के राजनीतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और सामाजिक क्षेत्रों पर पड़ा है।
उन्नीस सौ साठ से अस्सी का कालखंड
1961 में भारतीय सेना ने गोवा, दमन और दीव जैसे पुर्तगाली उपनिवेशों को भारत में मिलाकर एक बड़ा ऐतिहासिक कदम उठाया। 1962 में भारत को चीन के साथ युद्ध का सामना करना पड़ा, वहीं 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध हुए, जिसमें 1971 के युद्ध के बाद बांग्लादेश का निर्माण हुआ। 1972 में शिमला समझौते ने भारत-पाक संबंधों में नई दिशा दी।
1974 में भारत ने पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण कर दुनिया को अपनी वैज्ञानिक क्षमता का परिचय दिया। 1975 में आपातकाल की घोषणा और 1975 में पहला उपग्रह आर्यभट्ट का प्रक्षेपण, दोनों ही घटनाएँ ऐतिहासिक थीं। 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण ने अर्थव्यवस्था में नया मोड़ लाया।
इक्यासी से दो हजार का कालखंड
1984 में भोपाल गैस त्रासदी ने पर्यावरणीय सुरक्षा की आवश्यकता को उजागर किया। 1988 में SEBI की स्थापना और 1991 में शुरू हुए आर्थिक सुधारों ने भारत को वैश्विक बाजार से जोड़ा। 1999 में कारगिल युद्ध ने देश की सुरक्षा नीति को दृढ़ किया।
दो हजार एक से अब तक का कालखंड
2000 में नए राज्यों – छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड की स्थापना हुई। 2002 के गुजरात दंगे और 2004 की सुनामी जैसी घटनाओं ने सामाजिक और आपदा प्रबंधन पर प्रश्न खड़े किए। 2006 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौता और 2008 में चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण विज्ञान की दिशा में मील का पत्थर साबित हुए।
2013 में मंगलयान मिशन ने भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में विश्व पटल पर प्रतिष्ठित किया। 2019 में चंद्रयान-2 और जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जे की समाप्ति जैसी घटनाएं महत्वपूर्ण रहीं। 2020 में कोविड-19 महामारी के चलते देश में पूर्ण लॉकडाउन घोषित किया गया और 2022 में दो भारतीय टीकों (Covaxin और Covishield) को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिली।
अंततः, 2023 में भारत ने चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग कर वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष विज्ञान में एक नया इतिहास रच दिया।
पठनीय
‘पर्यावरण और मानव’ पर आधारित पथनाटय (नुक्कड़ नाट्य) प्रस्तुत किजिए।
उत्तर :
विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में महात्मा गांधी महाविद्यालय, नाशिक के छात्रों द्वारा एक जागरूकतापरक नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया, जिसका उद्देश्य था – “पर्यावरण बचाओ, जीवन बचाओ”।
इस नुक्कड़ नाट्य के माध्यम से छात्र-छात्राओं ने उपस्थित नागरिकों को यह चेतावनी दी कि यदि हमने अभी भी प्रकृति के प्रति अपने व्यवहार में बदलाव नहीं लाया, तो आने वाला समय मानव जाति के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है।
नाटक में दिखाया गया कि कैसे प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग, नदियों में मूर्तियों और कचरे का विसर्जन, वृक्षों की अंधाधुंध कटाई, और बढ़ते प्रदूषण ने पर्यावरण को संकट में डाल दिया है।
प्रोफेसर शिवाजी चव्हाण ने बताया कि यह नाटक केवल एक सांस्कृतिक प्रस्तुति नहीं, बल्कि समाज के प्रति छात्रों की नैतिक जिम्मेदारी का प्रतीक था। इसके माध्यम से उन्होंने नागरिकों को पॉलीथीन का त्याग करने, जल स्रोतों को स्वच्छ रखने, वृक्षारोपण करने, और प्रदूषण रोकने के लिए प्रेरित किया।
नाटक का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह था कि — “यदि प्रकृति नहीं बची, तो मानवता भी नहीं बचेगी।“
नुक्कड़ नाटक के अंत में कलाकारों ने लोगों से आग्रह किया कि वे पर्यावरण की रक्षा को केवल सरकार की जिम्मेदारी न समझें, बल्कि स्वयं सक्रिय होकर इस कार्य में योगदान दें — जैसे कि एक पौधा लगाना, कचरा सही जगह फेंकना और जल बचाना।
इस प्रकार, इस पथनाट्य ने न केवल समाज को चेताया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि युवाओं की भागीदारी से एक बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
लेखनीय
‘देश हित के लिए आप क्या करते हैं’, लिखिए।
उत्तर :
मैं अपने देश के प्रति पूरी तरह वफादार हूँ। देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए हम सब नागरिकों को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। यही अपने देश के प्रति सम्मान प्रदर्शित करना होगा। एक देश गरीब, विकासशील या प्रजातांत्रिक है तो यह सब कुछ उस देश के नागरिकों पर निर्भर करता है। मैं भारत का नागरिक होने के नाते अपने सभी कर्तव्यों जैसे., मतदान, स्वच्छता, देश की एकता को बनाए रखने में सहयोग देना सार्वजनिक संपत्ती का सदुपयोग, आपातकालीन परिस्थिति में एक-दूसरे की मदद करना इत्यादि का पालन करता हूँ। इसके अलावा मैं अपने आसपास के लोगों को देशहित में अपने-अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए जागरूक करता हूँ।
आसपास
अपने आसपास/परिवेश में घटित होने वाली समाज विघातक घटनाओं की रोकथाम से संबंधित अपना मत प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
हमारे समाज में कई ऐसी घटनाएँ घटती हैं जो समाज के लिए घातक सिद्ध हो रही हैं, जैसे भ्रष्टाचार, भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, और आरक्षण से जुड़ी असमानताएँ। इन सभी समस्याओं का सीधा प्रभाव हमारे आसपास के लोगों, परिवारों और युवाओं पर पड़ता है।
भ्रष्टाचार एक ऐसी बुराई है जो देश की जड़ों को खोखला कर रही है। यह हर स्तर पर फैला हुआ है – सरकारी दफ्तरों से लेकर आम जीवन तक। इसकी रोकथाम के लिए हमें खुद ईमानदारी का पालन करना होगा और गलत कामों का विरोध करना होगा, चाहे वह हमारे करीबी व्यक्ति ही क्यों न हों। साथ ही, पारदर्शी व्यवस्थाएं और सख्त दंड नीति अपनानी चाहिए।
कन्या भ्रूण हत्या एक गंभीर अपराध है, जो लड़कियों के अस्तित्व को ही चुनौती देता है। इसके लिए चिकित्सा क्षेत्र में सख्त निगरानी और गर्भ लिंग जांच पर पूर्ण प्रतिबंध जरूरी है। साथ ही, समाज में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे जागरूकता अभियानों को और अधिक प्रभावशाली बनाना चाहिए ताकि लोगों की मानसिकता बदले।
दहेज प्रथा आज भी कई घरों को बर्बाद कर रही है। इस बुराई को जड़ से खत्म करने के लिए समाज को अपनी सोच बदलनी होगी। सादगीपूर्ण विवाह को बढ़ावा देना, अंतर्जातीय विवाहों को प्रोत्साहित करना और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना इस दिशा में अहम कदम हो सकते हैं।
इन सभी विघातक समस्याओं का समाधान केवल सरकार से नहीं, बल्कि आम नागरिकों से भी शुरू होता है। यदि हर व्यक्ति संवेदनशीलता, नैतिकता और जागरूकता के साथ आगे आए, तो समाज को बेहतर बनाया जा सकता है।
पाठ के आँगन में
१) सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-
क)

उत्तर :

२) कृति पूर्ण कीजिए :-
ख)

उत्तर :

पाठ से आगे
स्वामी विवेकानंद जी की जीवनी का अंश पढ़कर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
स्वामी विवेकानंद जी की जीवन यात्रा केवल एक संत की आत्मकथा नहीं, बल्कि एक विचारशील, कर्मठ और जागरूक युवा के सतत आत्म-संशोधन, समाज-सेवा और राष्ट्र-जागरण की प्रेरणादायक गाथा है। 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में जन्मे नरेंद्र (बचपन का नाम) ने शिक्षा के क्षेत्र में प्रेसीडेंसी कॉलेज और जनरल असेम्बली इंस्टिट्यूशन जैसे संस्थानों में अध्ययन कर बौद्धिक दृष्टि से खुद को समृद्ध किया।
रामकृष्ण परमहंस से 1881 में हुई भेंट ने उनके जीवन को आध्यात्मिक दिशा दी। गुरुदेव के देहांत के बाद उन्होंने जीवन को संन्यास और सेवा के लिए समर्पित कर दिया। 1890 से शुरू हुआ उनका परिव्राजक जीवन केवल आत्म-साधना नहीं, बल्कि जन-जन से संवाद और राष्ट्र की वास्तविक तस्वीर को समझने की एक गहरी साधना थी।
1893 में शिकागो के विश्व धर्म महासभा में उनका ऐतिहासिक भाषण न केवल भारत की आध्यात्मिक गरिमा का प्रतीक बना, बल्कि पश्चिमी जगत में भारतीय विचारधारा की प्रतिष्ठा भी स्थापित हुई। “मेरे अमरीकी भाइयों और बहनों…” से आरंभ हुआ उनका भाषण आज भी गूंजता है।
विदेशों में वेदान्त और भारतीय संस्कृति का प्रचार करते हुए उन्होंने न्यूयॉर्क, लंदन, पेरिस, ऑक्सफोर्ड जैसे स्थानों में न केवल धार्मिक कक्षाएं चलाईं, बल्कि वेदान्त सोसाइटी और रामकृष्ण मिशन जैसे संस्थानों की स्थापना कर व्यावहारिक सेवा और आध्यात्मिक शिक्षा का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया।
भारत लौटकर उन्होंने 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी सेवा, शिक्षा और आध्यात्मिक जागरण के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया –
“उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।”
उनकी जीवन गाथा यह स्पष्ट करती है कि यदि किसी व्यक्ति में राष्ट्र और मानवता के प्रति सच्चा प्रेम, साधना और सेवा का भाव हो, तो वह संपूर्ण समाज को दिशा दे सकता है। स्वामी विवेकानंद का जीवन हम सबके लिए आचरण और चेतना का आदर्श है।
भाषा बिंदु
निम्न शब्दों के अर्थ शब्दकोश की सहायता से ढूँढिए तथा उचित शब्द रिक्त स्थानों में लिखिए :-
१. आर्यभट्ट ने शून्य की …………………… की। (खोज, अनुसंधान, आविष्कार)
उत्तर :
आर्यभट्ट ने शून्य की खोज की।
२. प्रगति के लिए आपसी …………………… आवश्यक है। (ईष्र्या, भागदौड़, स्पर्धा)
उत्तर :
प्रगति के लिए आपसी स्पर्धा आवश्यक है।
३. कार्यक्रम को शुरु करने के लिए अध्यक्ष महोदय की …………………. चाहिए। (अनुमति, आज्ञा, आदेश)
उत्तर :
कार्यक्रम को शुरु करने के लिए अध्यक्ष महोदय की अनुमति चाहिए।
४. काले बादलों को देखकर बारिश की ………………….. है। (आशंका, संभावना, अवसर)
उत्तर :
काले बादलों को देखकर बारिश की संभावना है।
५. सड़क-योजना में सैकड़ों मजदूरों को …………………. मिला। (निर्माण, निर्मिति, रोजगार)
उत्तर :
सड़क-योजना में सैकड़ों मजदूरों को रोजगार मिला।