डॉक्टर का अपहरण स्वाध्याय
डॉक्टर का अपहरण स्वाध्याय इयत्ता नववी हिंदी

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रात्रि में आकाश दर्शन का आनंद लेते हुए अपने अनुभवों का स्थान कीजिए :-
कृति के आवश्यक सोपान :
- आकाश दर्शन का आयोजन करें।
- आकाश के ग्रह, तारों की जानकारी प्राप्त कराएँ।
- प्रकृति का सौंदर्य कहलवाएँ।
- अनुभव का कथन करके लेखन करने के लिए प्रेरित करें।
उत्तर :
रात्रि में आकाश दर्शन का आनंद लेते हुए अपने अनुभवो का कथन कीजिए :
२९ मे को भी हम सबने आकाश दर्शन का आयोजन किया। रात होते ही हम जरूरी साहित्य के साथ शहर के बाहर स्थित पहाड़ी पर चढ़ गए। वहां से आकाश बहुत सुंदर दिख रहा था। अंकल ने हमें दिखाई देने वाले कुछ ग्रह, तारों के बारे मे जानकारी दी। हमने उन अनोखे ग्रह तारो के पिक्चर कॅमेरे मे कैद कर लिये।
रात में काले खुले आसमान को एकटक निहारना टिमटिमाते – चमचमाते सफेद तारो को दिखना, दुधिया प्रकाश से भरे चाँद को लगातार देखने का अपना ही अलग आनंद है। यह आनंद मन को बड़ा संतोष प्रदान करता है। इस समय मन में यह भाव उत्पन्न होता है, सारी दुनिया से बेखबर इसी सितारों सें भरे आसमान को बस निहारते रहो।
संभाषणीय
‘इसरो’ (ISRO) के संदर्भ में प्राथमिक जानकारी अंतरजाल से प्राप्त कर आपस मे वार्तालाप कीजिए।
उत्तर :
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगटन (संक्षेप में इसरो) (Indian Space Research Organisation, ISRO) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय बंगलोर में है। इस संस्थान मे लगभग सत्रह हजार कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं। संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिए अंतरिक्ष संम्बधी तकनीक करवाना है। अंतरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों उपग्रहों प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थापना १५ अगस्त १९६९ में की गयी। तब इसका नाम ‘अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिती (INCOSPAR) था।
इसको को शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए साल २०१४ इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मंगलयान के सफल प्रक्षेपण के लगभग एक वर्ष बाद इसने २९ सितंबर २०१५ को एस्ट्रोसैट के रूप में भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला स्थापित की।
जून २०१६ तक इसरो लगभग २० अलग अलग देश के ५७ उपग्रह को लॉन्च कर चुका है, और इसके द्वारा उसने अब तक १० करोड़ अमेरिकी डॉलर कमाए है।
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-
१) आकृति पूर्ण कीजिए :

उत्तर :

२) यदि मैं डॉ। भटनागर की जगह होता/होती तो ……… इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
यदि मैं डॉक्टर भटनागर की जगह होता, तो मैं भी डॉक्टर होने का कर्तव्य को पूरा ईमानदारी से निभाता और उन मरीजों का इलाज करता। इसके अलावा मैं उनसे ग्रह पर फैली समस्या के समाधान हेतु पृथ्वी से डॉक्टरों और विज्ञानिकों के अपहरण करने के संदर्भ में बात करता।
मैं उन्हें समझता कि उनका मकसद सही है, लेकिन उनका तरीका पूरी तरह गलत है। यदि उन्हें चिकित्सा संबंधी कोई सहायता चाहिए, तो वे पृथ्वी से सीधे तौर पर संपर्क कर सकते हैं। धरतीवासियों को अपनी समस्याएँ बता सकते हैं। मैं उन्हें यकीन दिलाता कि उनकी परेशानी जानकर धरती के विज्ञानिक और डॉक्टर उनकी मदद करने को फौरन तैयार हो जाएँगे। इससे उनकी समस्या भी सुलझ जाती और किसी को परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ता।
लेखनीय
‘यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होती/होता……….’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता तो अंतरिक्ष के विभिन्न ग्रहों की सैर करता। मैं पूरे ब्रह्मांड में यात्रा कर यह पता लगाता कि पृथ्वी की भाँति किसी और ग्रह पर जीवन है या नहीं। मैं विभिन्न ग्रहों पर जाकर उनकी जानकारी इकट्ठा करता। वहाँ पर मौजूद जीव – जंतुओं इत्यादि के बारे में पता लगाता।
मैं इकट्ठा की गई जानकारी को पृथ्वी पर मौजूद अपने मित्रों व अपने संस्थान को भेजता। मेरे द्वारा भेजी गई जानकारी से पृथ्वीवासियों को दूसरे ग्रहों के बारे में जानकारी मिलती। इससे हमें अन्य ग्रहों से संपर्क साधने और उनके बारे में अधिक – से – अधिक जानने में मदद मिलती।
मौलिक सृजन
‘अन्य ग्रहवासी से मेरी मुलाकात’ विषय पर संवाद बनाकर लिखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी : आपका नाम
ग्रहवासी : नाम ? वह क्या होता है ? मेरे ग्रह पर नाम-वाम की चीज ही नहीं होती।
विद्यार्थी : ग्रह ? कौन-सा ग्रह ?
ग्रहवासी : धरती से बहुत दूर ‘सुंदर ग्रह’।
विद्यार्थी : आप क्या काम करते हैं।
ग्रहवासी : कुछ नहीं। हमारे यहाँ कोई कुछ नहीं करता।
विद्यार्थी : क्यों ?
ग्रहवासी : बिना काम किए ही हमें सब कुछ मिल जाता है। हमारे मुँह से जो निकलता है, वह सामने तुरंत हाजिर हो जाता है।
विद्यार्थी : विश्वास नहीं होता ! खैर, यह डिब्बे जैसी चीज क्या है ?
ग्रहवासी : हमारा अंतरिक्ष यान। आओ बैठो, तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ देता हूँ। …….. कहाँ रहते हो ?
विद्यार्थी : गांधीनगर।
ग्रहवासी : चलो भाई गांधीनगर।
(यान से)
(यान तुरंत तेजी से उड़ चलता है।)
पाठ के आँगन में
१) सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-

उत्तर :

२) ‘स्वास्थ्य को समस्या सभी जगह पाई जाती है’ इस विषय पर आपके विचार लगभग आठ से दस वाक्यों में लिखिए।
उत्तर :
मनुष्य एक चेतन प्राणी है। उसे जीवित रहने के लिए प्राणवायू, जल और भोजन की आवश्यकता होती है। साथ ही उसे अन्य क्रियाएँ भी करनी जरूरी होती हैं। भोजन से स्वास्थ्य बनता है और इसके किसी तत्व की कमी के कारण उसे बीमारयाँ भी होती हैं। बीमारियों से स्वस्थ होने के लिए दवाएँ लेनी पड़ती है। प्राणियों के लिए एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। वह जल, थल, आकाश किसी स्थान पर हो, स्वास्थ्य की समस्या उसके साथ जुड़ी होती है। जगत में ऐसा कोई नहीं है; जो कभी बीमार न् पड़ता हो अथवा उसे दवा न लेनी पडतो हो। अंतरिक्ष मे भेजते समय इस बात की समुचित व्यवस्था की जाती है कि उनका स्वास्थ्य ठीक रहे। स्वास्थ की समस्या हर जगह पाई जाती है।
पाठ के आगे
‘उड़न तश्तरी’ की संकल्पना अंतरजाल से पढ़कर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
उड़न तश्तरी आकाश में उड़ती किसी अज्ञात उड़ती वस्तू को कहा जाता है। इस अज्ञात वस्तुओं का आकार किसी डिस्क या तश्तरी के समान होता है। या ऐसा दिखाई देता है, जिस कारण इन्हें उड़न तश्तरीयों का नाम मिला। कई चश्मदीद गवाहों के अनुसार अज्ञात उड़ती वस्तुओं के बाहरी आवरण पर तेज प्रकाश होता है ये या तो अकेले घुमते हैं या एक प्रकार से लयबद्ध होकर। इनमें बहुत गतिशीलता होती है। उड़न तश्तरियाँ बहुत छोटे से लेकर बहुत विशाल आकार की हो सकती है।
भाषा बिंदु
निम्न वाक्यों में कारक रेखांकित का उनके नाम और चिह्न लिखकर पाठ से अन्य वाक्य खोजकर तालिका में लिखिए :
१) श्रीमती भटनागर ने दरवाजे पर फिर से वैसे ही गाड़ी के पहियों के निशान देखे।
उत्तर :
श्रीमती भटनागर ने दरवाजे पर फिर से वैसे ही गाड़ी के पहियों के निशान देखे।
ने – कर्ता कारक
पर – अधिकरण कारक
के – संबंध कारक
के – संबंध कारक
२) उस सी. डी. को तुरंत सुनने की व्यवस्था की गई।
उत्तर :
उस सी. डी. को तुरंत सुनने की व्यवस्था की गई।
को – कर्म कारक
की – संबंध कारक
३) अजीब आशंकाओं से परेशान हो उठा।
उत्तर :
अजीब आशंकाओं से परेशान हो उठा।
से – करण कारक
४) यहाँ भी लोगों ने रहने के लिए घर बना रखे हैं।
उत्तर :
यहाँ भी लोगों ने रहने के लिए घर बना रखे हैं।
ने – कर्ता कारक
के लिए – संप्रदान कारक
५) घर से बाहर गए उन्हें काफी समय हो गया।
उत्तर :
घर से बाहर गए उन्हें काफी समय हो गया।
से – अपादान कारक
६) हे मानव, मुझे क्षमा कर मैं पृथ्वी से बहुत दूर पहुँच चुका हूँ।
उत्तर :
हे मानव, मुझे क्षमा कर मैं पृथ्वी से बहुत दूर पहुँच चुका हूँ।
हे – संबोधन कारक
से – अपादान कारक
चिह्न | नाम | पाठ के वाक्य |
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का | संबंध कारक | तब अस्पताल का चौकीदार उन्हे उठाने आ जाता। |
के | संबंध कारक | उद्योगों के विकास से मशीनों की संख्या बढ़ रही है। |
में | अधिकरण कारक | इसी कारण ये लोग चिकित्सा में पीछे राह गए। |
का | संबंध कारक | इस ग्रह का नाम विचित्र सा है। |
में | अधिकरण कारक | इस पुरे ग्रह में मशिनें ज्यादा और आदमी कम हैं। |
के | संबंध कारक | यहां के वैज्ञानिकों ने मेरे बारे में सुना। |