ठेस स्वाध्याय
ठेस स्वाध्याय इयत्ता दहावी हिंदी

लेखनीय
लोक कलाओं के नामों की सूची तैयार कीजिए।
उत्तर :
भारत की अनेक जातियों व जनजातियों में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही पांरपारिक कलाओं को लोककला कहते है। इनसे सें कुछ कलाएँ आधुनिक काल में भी बहुत अधिक लोकप्रिय हैं।
लोक कला एक समूह या स्थान विशेष के लोगों का आमप्रदर्शन होता है। भारत की प्रमुख कलाओं के नामों की सूची इस प्रकार है।
i) मधुबनी, ii) जादोपटिया, iii) कलमकारी, iv) कांगड़ा, v) गोंड, vi) चित्तर, vii) तंजाबुर, viii) थंगक, ix) पातचित्र, x) पिछपई, xi) पिथोरा चित्रकला, xii) फड़, xiii) बाटिक, xiv) यमुना घाट, xv) वरली
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-
१) संजाल पूर्ण कीजिए :

उत्तर :

२) कृति पूर्ण कीजिए :
१.

उत्तर :

२.

उत्तर :

३.

उत्तर :

३) वाक्यों का उचित क्रम लगाकर लिखिए :
१. सातों तारे मंद पड़ गए।
२. ये मेरी ओर से हैं। सब चीजें है दीदी।
३. लोग उसको बेकार ही नहीं, ‘बेगार’ समझते हैं।
४. मानू दीदी काकी की सबसे छोटी बेटी है।
उत्तर :
३. लोग उसको बेकार ही नहीं, ‘बेगार’ समझते हैं।
४. मानू दीदी काकी की सबसे छोटी बेटी है।
१. सातों तारे मंद पड़ गए।
२. ये मेरी ओर से हैं। सब चीजें है दीदी।
अभिव्यक्ति
‘कला और कलाकार का सम्मान करना हमारा दायित्व है’, इस कथन पर अपने विचारों को शब्दबद्ध कीजिए।
उत्तर :
कला उन सारी क्रियाओं को कहते है जिनमें कौशिक अपेक्षित हो। और कलाकार ऐसे फूल है जिससे का उपवन सजा रहता है। कला और कलाकार का सम्मान करना हमारा मुख्य दायित्व है। पूरा संसार भारत की विविधता को देखकर आश्चर्य करता है। नाना संस्कृतियों, बिरादरियो, भाषाओं जातिओं के इस देश की बहुलता सबको चकित करते है हमें अपने देश की कला को विकसित करने वाले कलाकारों को सम्मान देकर उन्हे प्रोत्साहन देना चाहिए। उन्हें विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। कला हर किसी व्यक्ति में नहीं होती है। कला का गुण केवल एक कलाकार में होता है। जो उस कला को मन व ह्रदय से अपनाता है। कलाकार में अपनी कला के प्रति समर्पित भाव एवं पूर्णत: समर्पण की भावना होती है। अत: हमें मिलकर कलाकार की उस कला का सम्मान देते हुए उसे देश के हर क्षेत्र में ले जाने का अथक प्रयास करना चाहिए। यही हमारा दायित्व है।
भाषा बिंदु
१) कोष्ठक की सूचना के अनुसार निम्न वाक्यों का काल परिवर्तन कीजिए :
i) अली घर से बाहर चला जाता है। (सामान्य भूतकाल)
उत्तर :
सामान्य भूतकाल – अली घर से बाहर चला गया।
ii) आराम हराम हो जाता है। (पूर्ण वर्तमानकाल एवं पूर्ण भविष्यकाल)
उत्तर :
पूर्ण वर्तमानकाल – आराम हराम हो गया है।
पूर्ण भविष्यकाल – आराम हराम हो चुका होगा।
iii) सरकार एक ही टैक्स लगाती है। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
सामान्य भविष्यकाल – सरकार एक ही टैक्स लगायेगी।
iv) आप इतनी देर से नाप-तौल करते हैं। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
अपूर्ण वर्तमानकाल – आप इतनी देस से नाप-तौल कर रहे है।
v) वे बाजार से नई पुस्तक खरीदते हैं। (पूर्ण भूतकाल एवं अपूर्ण भविष्यकाल)
उत्तर :
पूर्ण भूतकाल – वे बाजार से नई पुस्तकें खरीद चुके थे।
अपूर्ण भविष्यकाल – वे बाजार से नई पुस्तकें खरीद रहे है।
vi) वे पुस्तक शांति से पढ़ते हैं। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
अपूर्ण भूतकाल – वे पुस्तक शांति से पढ़ रहे थे।
vii) सातों तारे मंद पड़ गए। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
अपूर्ण वर्तमानकाल – सातों तारे मंद पड़ रहे है।
viii) मैंने खिड़की से गरदन निकालकर झिड़की के स्वर में कहा। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
अपूर्ण भूतकाल – मैंने खिड़की से गरदन निकालकर झिड़की के स्वर में कह रहा था।
२) नीचे दिए गए वाक्य का काल पहचानकर निर्देशानुसार काल परिवर्तन कीजिए :
i) मानू को ससुराल पहुँचाने मैं ही जा रहा था।
उत्तर :
अपूर्ण भूतकाल
ii) सामान्य वर्तमानकाल
उत्तर :
मानू को ससुराल पहुँचाने मैं जाता हूँ।
iii) सामान्य भविष्यकाल
उत्तर :
मानू को ससुराल पहुँचाने मैं जाऊँगा।
iv) अपूर्ण भविष्यकाल
उत्तर :
मानू को ससुराल पहुँचाने मैं जा रहा होगा।
v) पूर्ण वर्तमानकाल
उत्तर :
मानू को ससुराल पहुँचाने मैं ही गया हूँ।
vi) सामान्य भूतकाल
उत्तर :
मानू को ससुराल पहुँचाने मैं गया था।
vii) अपूर्ण वर्तमानकाल
उत्तर :
मानू को ससुराल पहुँचाने मैं जा रहा हूँ।
viii) पूर्ण भूतकाल
उत्तर :
मानू को ससुराल पहुँचाने मैं जा चुका था।
xiv) पूर्ण भविष्यकाल
उत्तर :
मानू को ससुराल पहुँचाने मैं जा चुका होऊँगा।
उपयोजित लेखन
‘पुस्तक प्रदर्शनी में एक घंटा’ विषय पर अस्सी से सौ शब्दों में निबंध लेखन कीजिए।
उत्तर :
राजधानी दिल्ली का प्रगति मैदान एक ऐसा स्थान है जहाँ अक्सर एक-न-एक प्रदर्शनी चलती रहती है। इस कारण वहाँ अक्सर भीड़ भाड़ का बना रहना भी बड़ा स्वाभाविक है।
जब मैंने सुना कि वहाँ पुस्तकों की प्रदर्शनी लगी है तो पुस्तक प्रेमी होने के कारण मैं भी अपने माता-पिता के साथ संध्या के चार बजें मेल देखने गया। वहाँ खचाखच भीड़ भी लोग धक्का-मुक्की करते आपस में टकराते चल रहे थे।
भीतर मैंने देखा तरहतरह की दुकानें थी मिठाई, चाट, छोले, भेलपुरी तथा खाने-पीने की तरह-तरह की दुकानो में भी अच्छी-खासी भीड़ थी। साथ ही तरह-तरह के पुस्तको के स्टॉल भी थे। एक में आधुनिक वैज्ञानिक कृषि से संबंधित जानकारी, दूसरे में खान से खनिज पदार्थ तो तीसरे में इक्सवी सदी में भारत की उन्नति का चित्रण था तो कहीं औषधि, ज्ञान, विज्ञान की पुस्तकें इत्यादि थे।
स्टॉल पर खड़े कर्मचारी से मैं पुस्तकों उनके विषयों, छपाई आदि के बारे में कई प्रश्न भी पूछता रहा। वे लोग बड़े प्रेम से सब बता रहे थे। मैंने और मेरे पिताजी ने कुछ पुस्तकें खरीदी। मुझे कुछ प्रकाशक अपनी सूचीपत्र बॉट रहे थे। कुछ प्रकाशक छोटी-छोटी पत्र-पत्रिकाएँ भी बॉट रहे थे। कुछ लोगो ने अपने प्रकाशकों के नाम सें प्लास्टिक के थैले से बनवा रखे थे। दो स्टॉल में विशेष रूप सें चर्चित लेखक भी मौजूद थे।
मैंने देखा कि आम तौर पर पुस्तके उलट-पुलट कर देखने वालों की संख्या अधिक थी एवं खरीदने वालो की कम संख्या थी। हमने पूरा विभाग देखकर बाहर आये तों हमें वह एक घंटे सें अधिक समय लगा गया। वह एक घंटा मानो कब बित गया हमें पता ही नहीं चला। हम अब घर की ओर चल पड़े।