जरा प्यार से बोलना सीख लीजे स्वाध्याय
जरा प्यार से बोलना सीख लीजे स्वाध्याय इयत्ता आठवी हिंदी

कल्पना पल्लवन
‘वाणी की मधुरता सामने वाले का मन जीत लेती है।’ इस तथ्य पर अपने विचार लिखो।
उत्तर :
वाणी की शक्ति मनुष्य के लिए वरदान और अभिशाप दोनों है। वास्तव में मधुर वचन औषधि के समान होते हैं। जिस प्रकार एक रोगी का रोग दूर करने के लिए उसे औषधि दी जाती है, उसी प्रकार व्यक्ति कितनी ही परेशानियों से घिरा और तनावग्रस्त क्यों न हो, किसी के मधुर वचन उसकी परेशानी व तनाव दूर करने में सहायक होते हैं। मधुर वचनों में इतनी शक्ति और आकर्षण होता है कि मधुरभाषी सारे जग को अपना बना लेता है। पराए भी मित्र एवं हितैषी बन जाते हैं। वहीं कटुभाषी व्यक्ति अपने ही घर में पराया हो जाता है। मानव संसार में शब्दों का बड़ा महत्त्व होता है। अत: हमें एक-एक वचन सोच-समझकर बोलना चाहिए। वास्तव में मधुर वचन जहाँ दूसरों को आनंद की अनुभूति कराते हैं, वहीं हमारे मन को भी संतुष्टि और शीतलता से भर देते हैं। मीठी वाणी सफलता की कुंजी होती है। अत: हमें सदैव मीठा और उचित बोलना चाहिए। कहा भी गया है तुलसी मीठे वचन तै, सुख उपजत चहुँ ओर, वशीकरण के मंत्र हैं, तज दे वचन कठोर।
सूचनानुसार कृतियाँ करो :-
१) प्रवाह तालिका पूर्ण करो :

उत्तर :

२) उत्तर लिखो :
१. काँटे बोने वाले –
उत्तर :
काँटे बोने वाले – कटु वचन
२. चुभने वाली –
उत्तर :
चुभने वाली – बात बेबात
३. फटने वाले –
उत्तर :
फटने वाले – पटाखे की तरह
३) चुप रहने के चार फायदे लिखो :
१. ……………..
२. ……………..
३. ……………..
४. ……………..
उत्तर :
१. समय की बचत होती है।
२. ऊर्जा की बचत होती है।
३. ऊर्जा को किसी सकारात्मक कार्य में लगाया जा सकता है।
४. मनमुटाव होने की संभावना कम हो जाती है।
४) कविता कि अंतिम चार पंक्तियों का अर्थ लिखो।
उत्तर :
पटाखे का तरह …………………….. खोलना सीख लीजे।
मित्र, किसी भी परिस्थिति में दूसरे पर क्रोध में फट पड़ने के स्थान पर प्यार का प्रकाश फैलाना कहीं उचित है, क्योंकि क्रोध की प्रतिक्रिया में क्रोध ही मिलेगा और बात हाथ से निकल जाएगी। (यह तथ्य कभी नहीं भूलना चाहिए कि कड़वी बोली हमेशा संबंध बिगाड़ती ही है।) कटु वचनों से काँटे ही मिलते हैं। कटु वचन ऐसे बीज हैं, जिनके फलस्वरूप काँटों रूपी फसल ही मिलती है। अत: कटु वचनों का त्याग करके मीठी बोली रूपी फूल के पौधे लगाओ।
यदि बात करते-करते कोई ऐसा प्रसंग आ जाए कि किसी की बात आपको या आपकी बात दूसरों को चुभने लगे, तो बात को प्यार के मोड़ पर लाना सीखो, ताकि वातावरण की कटुता दूर हो जाए। पर साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हमें अनुचित बात पर होंठ सीकर यानी चुप भी नहीं बैठना चाहिए। कहीं, कोई, किसी प्रकार का अन्याय कर रहा हो या अत्याचार हो रहा हो तो उस समय चुप रह जाना भी अन्याय ही होगा। हमें ऐसी परिस्थिति में डटकर जोरदार शब्दों में उसका विरोध करना चाहिए।
५) कविता में आए इस अर्थ के शब्द लिखो :
अर्थ | शब्द | |
---|---|---|
१) | मधु | —— |
२) | कड़वे | —— |
३) | विचार | —— |
४) | आवश्यकता | —— |
उत्तर :
अर्थ | शब्द | |
---|---|---|
१) | मधु | शहद |
२) | कड़वे | कटु |
३) | विचार | खयाल |
४) | आवश्यकता | जरूरत |
भाषा बिंदु
उपसर्ग/प्रत्यय अलग करके मूल शब्द लिखो :
भारतीय, आस्थापन, व्यक्तित्व, स्नेहिल, बेबात, निरादर, प्रत्येक, सुयोग
उत्तर :
मूल शब्द | प्रत्यय | |
---|---|---|
१) भारतीय | भारत | ईय |
२) आस्थावान | आस्था | वान |
३) व्यक्तित्व | व्यक्ति | त्व |
४) स्नेहिल | स्नेह | इल |
उपसर्ग | मूल शब्द | |
---|---|---|
५) बेबात | बे | बात |
६) निरादर | निर् | आदर |
७) प्रत्येक | प्रति | एक |
८) सुयोग | सु | योग |
उपयोजित लेखन
‘यातायात की समस्याएँ एवं उपाय’ विषय पर निबंध लिखो।
उत्तर :
हमारे देश में शहरों की आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है, लेकिन शहरों की आधारभूत संरचना का विकास उस अनुपात में नहीं हुआ है, जिसकी वजह से यातायात एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है। यातायात के साधनों की भीड़ के कारण आजकल दुर्घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। आजकल शहरों से गाँवों तक सड़कों का जाल बिछा है, जिन पर वाहन दौड़ते रहते हैं। इन वाहनों की चपेट में आकर आए दिन बहुत से लोग मारे जाते हैं। वाहनों का धुआँ लोगों की साँस के साथ उनके फेफड़ों में जाता है, जिसके कारण श्वास संबंधी बीमारियाँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। आज मध्यम वर्गीय परिवारों में एक ही घर में कई-कई वाहनों का प्रयोग किया जाने लगा है। यदि परिवार के लोग एक ही स्थान पर जाने के लिए एक ही वाहन का प्रयोग करें तो सड़कों पर यातायात का दबाव कम होगा तथा दुर्घटनाओं की संभावना कम हो जाएगी। वाहनों की समय-समय पर जाँच, जल्दबाजी का त्याग, सड़क सुरक्षा संबंधी नियमों की जानकारी, उनका पालन यातायात पुलिस की जागरूकता से यातायात की समस्या पर कुछ सीमा तक नियंत्रण पाया जा सकता है।
स्वयं अध्ययन
हिंदी साप्ताहिक पत्रिकाएँ/समाचार पत्रों से प्रेरक कथाओं का संकलन करो।
उत्तर :
लालच का अंजाम
बहुत समय पहले की बात है। एक नगर के पास भील जाति का एक शिकारी रहता था। उसका जीवन यापन शिकार पर निर्भर था। वह प्रतिदिन धनुष-बाण लेकर जंगल में जंगली जानवरों का शिकार करता और अपने परिवार के लिए भोजन जुटाता।
एक दिन, हमेशा की तरह वह जंगल में गया और एक बलशाली मगरमच्छ का शिकार किया। वह अत्यंत प्रसन्न हुआ और उस मगर को अपने कंधे पर रखकर घर लौटने लगा। रास्ते में अचानक एक जंगली सूअर ने उस पर हमला कर दिया। भील ने साहसपूर्वक मुकाबला किया और बाण चलाकर सूअर को भी मार गिराया, लेकिन इस संघर्ष में वह स्वयं गंभीर रूप से घायल हो गया और वहीं प्राण त्याग दिए।
थोड़ी देर बाद एक भूखा गीदड़ उधर से गुज़रा। जब उसने तीन लाशें – मगर, सूअर और शिकारी – देखीं, तो उसकी आंखें चमक उठीं। वह मन ही मन प्रसन्न हो उठा और सोचने लगा, “इतना भोजन तो मुझे कई महीनों तक चल सकता है, अब मुझे भोजन की चिंता नहीं करनी पड़ेगी!”
लेकिन उसका अत्यधिक लालच यहीं नहीं रुका। वह चाहता था कि पहले सबकुछ अपने नियंत्रण में कर ले। तभी उसकी नजर धनुष पर पड़ी। उसने उसकी चमड़े की प्रत्यंचा (डोरी) को चबाना शुरू किया। प्रत्यंचा जैसे ही कमजोर हुई, वह टूटकर छिटक गई और धनुष का तीखा सिरा सीधे गीदड़ के शरीर में घुस गया। लालच के कारण उसका भी वहीं अंत हो गया।
सीख : इस कथा से यह सिखने को मिलता है कि अत्यधिक लालच विनाश का कारण बनता है। जो व्यक्ति संतोष नहीं करता और हर वस्तु को अपने अधीन करने का प्रयास करता है, अंत में वही वस्तुएँ उसके विनाश का कारण बन जाती हैं।