पृथ्वी से अग्नि तक स्वाध्याय

पृथ्वी से अग्नि तक स्वाध्याय

पृथ्वी से अग्नि तक स्वाध्याय इयत्ता सातवी हिंदी

स्वयं अध्ययन

किसी महान विभूति का जीवनक्रम वर्षानुसार बनाकर लाओ और पढ़ो : जैसे – जन्म, शालेय शिक्षा आदि।

उत्तर :

महान विभूति: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवनक्रम (वर्षानुसार)

1931 – 15 अक्टूबर को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्म।

1941 – प्राथमिक शिक्षा पूरी की, गणित और विज्ञान में गहरी रुचि थी।

1950 – मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में प्रवेश।

1958 – रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में वैज्ञानिक के रूप में कार्य शुरू।

1969 – इसरो (ISRO) में शामिल हुए और भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान (SLV-3) पर काम शुरू किया।

1980 – ‘रोहिणी’ उपग्रह को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित किया।

1998 – पोखरण परमाणु परीक्षण में प्रमुख भूमिका निभाई।

2002 – भारत के 11वें राष्ट्रपति बने, लोकप्रिय रूप से ‘जनता के राष्ट्रपति’ कहलाए।

2007 – राष्ट्रपति पद से सेवा निवृत्त हुए।

2015 – 27 जुलाई को एक व्याख्यान के दौरान निधन हुआ।

खोजबीज

अंतरजाल से पद्मभूषण से विभूषित विभूतियों की जानकारी का संकलन करके सुनाओ।

उत्तर :

पद्मभूषण भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो देश की सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों को दिया जाता है।
मैंने अंतरजाल से कुछ प्रसिद्ध पद्मभूषण सम्मान प्राप्त विभूतियों की जानकारी संकलित की है:

1. सचिन तेंदुलकर

सम्मान वर्ष: 2008

क्षेत्र: खेल (क्रिकेट)

विशेषता: भारत के महान क्रिकेटर, ‘क्रिकेट के भगवान’ कहे जाते हैं।

2. लता मंगेशकर

सम्मान वर्ष: 1969

क्षेत्र: संगीत

विशेषता: स्वर कोकिला के रूप में प्रसिद्ध, हजारों गीत गाए।

3. अजय चक्रवर्ती

सम्मान वर्ष: 2020

क्षेत्र: शास्त्रीय संगीत

विशेषता: हिंदुस्तानी संगीत के प्रसिद्ध गायक और शिक्षक।

4. आनंद महिंद्रा

सम्मान वर्ष: 2020

क्षेत्र: व्यापार

विशेषता: महिंद्रा समूह के अध्यक्ष, भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में से एक।

5. मैरी कॉम

सम्मान वर्ष: 2013

क्षेत्र: खेल (मुक्केबाजी)

विशेषता: विश्व चैंपियन मुक्केबाज़, भारत का गौरव।

सुनो तो जरा

विज्ञान प्रदर्शनी के लिए बनाए गए उपकरण बनाने की विधि एवं उपयोग सुनो और सुनाओ।

उत्तर :

उपकरण का नाम: सौर कुकर (Solar Cooker)

बनाने की विधि:

एक पुराना कार्डबोर्ड बॉक्स लें (जैसे- शू बॉक्स)।

उसके अंदर का हिस्सा ऐल्युमिनियम फॉइल से अच्छी तरह ढक दें ताकि सूरज की रोशनी परावर्तित हो सके।

एक काले रंग का छोटा बर्तन लें, जिसमें खाना रखा जाएगा।

बॉक्स का ढक्कन पारदर्शी प्लास्टिक शीट से ढक दें ताकि अंदर गर्मी बनी रहे।

अब इसे धूप में रखें और बर्तन को केंद्र में रखें।

उपयोग :

यह उपकरण सूरज की गर्मी से खाना पकाने के लिए काम आता है।

इसमें बिजली या गैस की आवश्यकता नहीं होती।

इससे ऊर्जा की बचत होती है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।

इसे ग्रामीण क्षेत्रों में या विज्ञान प्रदर्शनियों में प्रदर्शन हेतु उपयोग किया जा सकता है।

जरा सोचो ………. चर्चा करो

यदि मैं अंतरिक्ष यात्री बन जाऊँ तो……..

उत्तर :

यदि मैं अंतरिक्ष यात्री बन जाऊँ तो यह मेरे जीवन का सबसे रोमांचक और अविस्मरणीय अनुभव होगा। मैं अंतरिक्ष में जाकर पृथ्वी को आकाश से देखूँगा, जहाँ सब कुछ नीला और छोटा दिखाई देगा। गुरुत्वाकर्षण न होने के कारण मैं हवा में तैरते हुए भोजन करूँगा और सोऊँगा।

मैं चाँद, ग्रह और तारों को पास से देखने का सपना पूरा करूँगा। नए-नए वैज्ञानिक प्रयोग करके यह जानने की कोशिश करूँगा कि अंतरिक्ष में जीवन संभव है या नहीं। मैं वहाँ की तस्वीरें और जानकारियाँ पृथ्वी पर लाकर बच्चों को अंतरिक्ष के बारे में बताऊँगा।

मुझे गर्व होगा कि मैंने अपने देश का नाम ऊँचा किया और विज्ञान की दुनिया में एक नया योगदान दिया।

विचार मंथन

।। हम विज्ञान लोक के वास ।।

उत्तर :

आज का युग विज्ञान का युग है। आज का कोई भी क्षेत्र विज्ञान से अछूता नहीं है। प्राचीन काल से असंभव समझे जानेवाले सभी कार्यों को विज्ञान ने संभव करके दिखाया है। छोटी सुई से लेकर आकाश की दूरी नापने वाले हवाई जहाज व रॉकेट इस विज्ञान की ही देन हैं। हम अपने प्रतिदिन के जीवन में विज्ञान निर्मित वस्तुओं का ही प्रयोग करते हैं। विद्युत की निर्मिती, कल-कारखाने, अंतरिक्ष की खोज, जीवन में बदलाव, आधुनिक खेती की सामग्री पूरा जीवन विज्ञान निर्मित वस्तुओं से घिरा हुआ है।

प्राचीन काल से हम कहते व सुनते आ रहे हैं की मनुष्य “धरती का वासी है”, परंतु विज्ञान के इन चमत्कारों और मनुष्य द्वारा विज्ञान निर्मित वस्तुओं के उपयोग किए जाने पर हम अगर कहें कि ‘हम विज्ञान लोक के वासी’ तो यह गलत न होगा। विज्ञान ही है जिसने धरती के प्रत्येक असंभव कार्य को संभव करके दिखावा है। किंतु आज के इस आधुनिक युग में हमें इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि विज्ञान से मनुष्य को कई हानियाँ भी हो रही हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हमें विज्ञान की तरक्की का उपयोग मानव जाति के भले के लिए ही करना चाहिए। तभी हम असल में ‘विज्ञान लोक के वासी’ कहलाएंगे।

मेरी कसम से

दिए गए मुद्दों के आधार पर कहानी लिखो :

उत्तर :

गाँव में मेल लगा हुआ था, आस-पास के गाँवों के सैंकड़ों दुकानदारों ने कई दिन पहले से ही मेले में अपनी दुकानें सजा रखी थीं। लोग दूर-दूर से इस मेले को देखने आ रहे थे। जिस कारण मेले में बहुत भीड़ रहती थी।

मेले के प्रवेश द्वार के बीचोंबीच सड़क पर एक बड़ा-सा पत्थर गड़ा हुआ था। जिससे टकराकर जाने कितने गिर पड़ते थे, और न जाने कितनों को रोज चोट लगती थी। न तो मेले के आयोजकों का ही ध्यान इस ओर गया, न ही मेले में आने वालों में से किसी का। एक लड़का बहुत देर से लोगों की इस परेशानी को देख रहा था। अंत में उससे रहा न गया। उसने पत्थर हटाने की कोशिश की। पत्थर बहुत भारी था और जमीन में गड़ा था। लड़के ने हिम्मत नहीं हारी। कोशिश करता रहा और अंत में वह उस भारी पत्थर को वहाँ से निकालने में सफल हुआ।

पत्थर निकलते ही सब लोगों ने देखा कि वहाँ एक चिठ्ठी रखी थी। चिठ्ठी को सबने पढ़ा उसमें लिखा था – जो भी इस पत्थर को निकालेगा, वह एक बड़े पुरस्कार का धिकारी है। जाकर गाँव के सरपंच से मिलो और अपना पुरस्कार प्राप्त करो।

शीर्षक : निस्वार्थ सेवा का पुरस्कार

सीख : निस्वार्थ भाव से की गई सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है।

अध्ययन कौशल

अपना दैनिक नियोजन बनाओ तथा उसपर अमल करो।

उत्तर :

मेरा दैनिक नियोजन इस प्रकार है –

समयकार्य का विवरण
सुबह 5:30 बजेउठना, हाथ-मुँह धोना, प्रार्थना करना
सुबह 6:00 बजेयोग व हल्का व्यायाम
सुबह 6:30 बजेपढ़ाई (गणित या विज्ञान)
सुबह 7:30 बजेस्नान और नाश्ता करना
सुबह 8:30 बजेविद्यालय के लिए तैयार होना
9:00 से 4:00विद्यालय में पढ़ाई और सहगतिविधियाँ
शाम 4:30 बजेहल्का नाश्ता और थोड़ी देर विश्राम
शाम 5:00 बजेहोमवर्क और दोहराव की पढ़ाई
शाम 6:30 बजेखेलना या टहलना
रात 7:30 बजेरात्रिभोजन (डिनर)
रात 8:00 बजेहिन्दी / मराठी / सामाजिक विषय की पढ़ाई
रात 9:00 बजेअगले दिन की तैयारी, पुस्तकें जमाना
रात 9:30 बजेसो जाना

सदैव ध्यान में रखो

दैनिक जीवन में विज्ञान का उपयोग करना श्रेयस्कर होता है।

उत्तर :

विज्ञान हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज हम जो भी सुविधाएँ प्राप्त कर रहे हैं, वे विज्ञान की देन हैं। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हम कहीं-न-कहीं विज्ञान का उपयोग करते हैं।

हम मोबाइल फोन से बात करते हैं, गैस चूल्हे पर खाना पकाते हैं, बिजली से पंखा और बल्ब चलाते हैं, यह सब विज्ञान की मदद से संभव है। विद्यालय जाने के लिए बस, साइकिल या ट्रेन का उपयोग करते हैं, वह भी विज्ञान का ही चमत्कार है।

विज्ञान ने हमारे जीवन को सरल, सुरक्षित और तेज़ बना दिया है। इसलिए कहा जाता है कि “दैनिक जीवन में विज्ञान का उपयोग करना श्रेयस्कर होता है।” लेकिन हमें विज्ञान का उपयोग सद्भाव, सावधानी और समझदारी से करना चाहिए।

१. सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखो :

क) ‘पृथ्वी’ प्रक्षेपण के लिए …………… अंतरिक्ष केंद्र में विशेष सुविधाएँ स्थापित की। [थुंबा, श्रीहरिकोटा]

उत्तर :

‘पृथ्वी’ प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र में विशेष सुविधाएँ स्थापित की।

ख) सिर्फ छह सौ …………….. की भव्य उड़ान ने हमारी सारी थकान को एक पल में धो डाला। [मिनट, सेकंड़्स]

उत्तर :

सिर्फ छह सौ सेकंड़्स की भव्य उड़ान ने हमारी सारी थकान को एक पल में धो डाला।

२. तीन-चार वाक्यों में उत्तर लिखो :

च) भारत को चुनिंदा राष्ट्रों के समूह में किसने पहुँचा दिया ?

उत्तर :

पृथ्वी मिसाइल का सफल प्रक्षेपण हो गया। हमारे देश के रॉकेट विज्ञान के इतिहास में एक बहुत बड़ी घटना थी। मिसाइलों के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता ने संसार के कभी विकसित देशों को विचलित कर दिया। मिसाइल आधारित सुरक्षा प्रणालियों ने एकदम से भारत को चुनिंदा राष्ट्रों के समूह में पहुँचा दिया।

छ) टीम के साथ डॉ। कलाम जी ने कौन-सा अनुभव बाँटा ?

उत्तर :

डॉ। कलाम ने टीम के साथ एस एल वी का अनुभव बाँटा। उन्होंने बताया – मेरा प्रक्षेपण यान समुद्र में गिरकर खो गया था लेकिन फिर भी मुझे अपने अभियान में सफलता प्राप्त हुई। आप लोगों की मिसाइल अभी तक आपके सामने है। वास्तव में आप एक-दो हफ्ता काम करके इसे सुधार सकते हैं।

ज) ‘अग्नि’ का प्रक्षेपण पहले स्थगित क्यों करना पड़ा ?

उत्तर :

अग्नि के प्रक्षेपण के लिए बीस अप्रैल उन्नीस सौ नवासी का दिन निर्धारित किया गया। जिस समय वैज्ञानिक टी-१४ पर थे , अग्नि का प्रक्षेपण होने ही वाला था कि कंप्यूटर ने संकेत दिया कि कोई एक उपकरण ठीक से काम नहीं कर रहा है। उसे तुरंत ठीक किया गया लेकिन इस बीच निचली रेंज केंद्र ने रुकने का संकेत दिया। अगले कुछ सेकंडों में जगह-जगह रुकने की जरूरत पड़ गई। अत: प्रक्षेपण स्थगित करना पड़ा।

झ) रक्षामंत्री ने डॉ। कलाम जी से कब और क्या पूछा था ?

उत्तर :

अंतत: अग्नि के प्रक्षेपण के लिए बाईस मई उन्नीस सौ नवासी का दिन निर्धारित किया गया। उससे पहली रात को सभी वैज्ञानिकों के दिमाग में एक ही सवाल था कि क्या हम अग्नि के प्रक्षेपण में कल सफल होंगे ? इसी समय रक्षामंत्री ने डॉ। कलाम से पूछा – कलाम कल तुम अग्नि की के सफल प्रक्षेपण का जश्न मनाने के लिए मुझसे क्या उपहार चाहोगे ?

भाषा की ओर

दाएँ पंख में उपसर्ग तथा बाएँ पंख में प्रत्यय लगाकर शब्द लिखो तथा उनके वाक्य बनाओ :

उत्तर :

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