मन स्वाध्याय

मन स्वाध्याय

मन स्वाध्याय इयत्ता दहावी हिंदी

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-

१) उचित जोड़ियाँ मिलाइए :

मछली ——–मौन
गीतों के स्वर ——–सूना
रेल की पटरियाँ ——–प्यासी
आकाश——–अमर
पीड़ा

उत्तर :

मछली प्यासीमौन
गीतों के स्वर अमरसूना
रेल की पटरियाँ मौनप्यासी
आकाशसूनाअमर
पीड़ा

२) परिणाम लिखिए :

१. सितारों का छिपना –

उत्तर :

सितारों का छिपना – सूना आकाश

तात्पर्य यह है कि, जीवन में कुछ पल के लिए खुशियाँ और अंधकार का आना, किंतु हमें निराश न होकर फिर से जीवन को सुचारू रूप से जीना चाहिए। सितारे हमेशा अंधकार में छिपे नहीं होते। बादलों के हट जाने के बाद प्रकाश के साथ प्रकाशित होकर निकल आते है।

२. तुम्हारा गीतों को स्वर देना –

उत्तर :

तुम्हारा गीतों को स्वर देना – अमर

तात्पर्य यह है कि, शब्दों में सुरों को डाल कर गीत बना दिया, जिन्हें हम सभी ने गुनगुनाकार मधुर गीत को अमर बना दिया।

३) सरल अर्थ लिखिए :

मन की पीड़ा बदल बन बरसी आँखे।

उत्तर :

अर्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में कवि विकास परिहार जी कहते है कि, मन की पीड़ा बादलों के समान है। जिस प्रकार बादल जब पानी से भर जाते है तो वे बरसने लगते है उसी प्रकार जब मन में पीड़ा उत्पन्न होती है तो आँखों से आँसु रूपी जल अपने आप निकल पड़ते हैं। यहाँ पर आँखों की तुलना बादलों से की गई है यहाँ उपमा अलंकार दिखाई देता है।

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-

१) लिखिए :

निम्नलिखित हाइकु द्वारा मिलने वाला संदेश

करते जाओ पाने की मत सोचो जीवन सारा। भीरती कंठा नयनों द्वारे से आई बाहर।

उत्तर :

करते जाओ पाने की मत सोचो जीवन सारा। भीरती कंठा नयनों द्वारे से आई बाहर।
हमें निरंतर कर्मपथ पर अग्रसर रहना चाहिये। कर्मपल की इच्छा को त्याग कर अपना ध्यान कार्य पर केंद्रित करने से कार्य कुशलता प्राप्त होती है। और योग्य फल भी प्राप्त होता है। एवं यदि फल प्राप्त नहीं होता तो उसका दुख नहीं होता। अक्सर मनुष्य यह सोचता है कि योने से वह कमजोर हो जाएगाँ अथवा माना जाएगा। परंतु आसुँओ के माध्यम से मन का बोझ हलका हो जाता है। दो पल रो लेने से व्यक्ति का दुख क्षय हो जाता है और वह नयी उर्जा प्राप्त कर पुन: कार्यशील हो जाता है।

२) कृति पूर्ण कीजिए :

उत्तर :

३) उत्तर लिखिए :

१. मुॅझधार में डोले –

उत्तर :

मुॅझधार में डोले – जीवन नैया

२. छिपे हुए –

उत्तर :

छिपे हूए – सितारे

३. धुल गए –

उत्तर :

धुल गए – विवाद

४. अमर हुए –

उत्तर :

अमर हुए – गीतो के स्वर

४) निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए :

१. चलतीं साथ पटरियाँ रेल की फिर भी मौन।

उत्तर :

प्रस्तुत पंक्ति का केंन्द्रीय भाव यह है कि, मनुष्य का ह्रदय यदि दुख व पीड़ा से भरा हो तो वह मौनरूप से जीवन के साथ चलते रहता है।

२. काँटों के बीच खिलखिलाता फूल देता प्रेरणा।

उत्तर :

मनुष्य को विषम परिस्थितियों का हिम्मत से सामना कर सदैव मुस्कुराते रहना चाहिए। किसी भी परिस्थितियों में हार नही मानना चाहिए सदैव मुस्कुराते रहना चाहिए।

उपयोजित लेखन

वक्तृत्व प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाने के उपलक्ष्य में आपके मित्र/सहेली ने आपको बधाई पत्र भेजा है, उसे धन्यवाद देते हुए निम्न प्रारूप में पत्र लिखिए :

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